निबंध शब्द का अर्थ ‘बन्धन में बँधी हुई वस्तु’ से लिया जाता है। यह मूलत: संस्कृत का शब्द है, जो कि हिन्दी में लिया गया है। निबन्ध एक ऐसी रचना है, जिसमें किसी विशेष विषय पर व्यक्ति अपने विचारों की लिखित अभिव्यक्त करता है। जो कुछ भी वह उस विषय के बारे में सोचता है उसके […]
किसी शब्द के ठीक विपरीत शब्द प्रकट करने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इन्हें एंटोनिम्स (antonyms) कहा जाता है। किसी एक शब्द के ठीक उल्टा, या विपरीत अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते है। इन शब्दों को विपर्याय के रूप में भी जाना जाता है। उदाहरण : […]
कम से कम शब्दों में किसी बात, घटना या विचार को व्यक्त करने वाले शब्द अनेक शब्दों के लिए प्रयोग एक शब्द को सूची में रखे जाते है। जिस शब्द से इस विचार, बात या घटना का पूर्ण ज्ञान हो जाता है। ये शब्द अपने पूरे विचार और वाक्य का अर्थ अपने अंदर रखते है। […]
जिन शब्दों का केवल एक अर्थ ही निकलता है, उसे एकार्थी शब्द कहते है। इनका कोई दूसरा अर्थ या मतलब नही निकलता है। यह अर्थ किसी एक वस्तु या पदार्थ के लिए निर्धारित रहता है। जहा भी उस एकार्थी शब्द का प्रयोग किया जाता है वहां पर वह उस एक ही वस्तु और पदार्थ के […]
अनेकार्थी शब्द उस शब्द को कहा जाता है जिस शब्द के एक से अधिक अर्थ प्रकट होते है। भिन्न भिन्न परिस्थितियों में उस एक शब्द का अर्थ उस स्थिति के अनुसार अलग होंगे। एक से अधिक अर्थ देने वाले शब्द को अनेकार्थी शब्द कहा जाता है। ऐसे अनेक शब्द है जिनके एक से अधिक अर्थ […]
दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर शब्द का निर्माण करते हैं, और शब्द मिलकर एक भाषा का निर्माण करते हैं। शब्द को हम भाषा की प्राणवायु भी कह सकते हैं, क्योंकि बिना शब्दों के भाषा का कोई अस्तित्व नहीं है। हिंदी साहित्य या हिंदी भाषा में शब्दों का ऐसा समूह जिसमें पर्यायवाची, विलोम, एकार्थी, […]
एक शब्द का समान अर्थ देने वाले शब्द को पर्यायवाची शब्द कहते है। यह शब्द समान अर्थ होने के कारण दूसरे शब्द का भी स्थान ले लेते है। पर्यायवाची शब्द को अंग्रेजी में synonym कहते है। एक शब्द का समान अर्थ देने के कारण पर्यायवाची शब्द को समानार्थी शब्द भी कहते है। हिंदी में तत्सम […]
तत्सम शब्द तत्सम शब्द दो शब्दों तत् + सम् से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है ज्यो का त्यों अर्थात जो जैसा है वैसा ही। तत्सम शब्द संस्कृत के शब्दों को कहा जाता है। ये वे शब्द है जो संस्कृत से बिना किसी बदलाव और परिवर्तन के हिंदी व्याकरण में प्रयोग किए जाते हैं। […]
छंद शब्द नियम विशेष के आधार पर गति– लय – युक्त रचना होती है। इसमें वर्ण तथा मात्राओं का विशेष प्रतिबंध रहता है। इस प्रकार पद्य या छंद ऐसी शब्द योजना है, जिसमें मात्राओं तथा वर्णों का नियमित क्रम होता है और विराम, गति या प्रवाह आदि को व्यवस्था होती है। छंद लय को बताने […]