अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है, जिनमें लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम के कारण कोई भी बदलाव या परिवर्तन नहीं होता है। उनमें कोई भी विकार उत्पन्न नहीं होता है, इसलिए उनके अविकारी शब्द भी कहा जाता है। जैसे: कब, कहाँ, क्यों, कैसे, किसने, उधर, ऊपर, इधर, अरे, तथा, और, लेकिन, क्योंकि, परंतु, केवल, […]
वचन का शाब्दिक अर्थ है बोली। लेकिन हिंदी में व्याकरण की दृष्टि में वाचक का अर्थ संख्या से लिया गया है। इसलिए वचन को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है को संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है,उसे वचन कहते है। वचन के भेद (vachan ke kitne […]
जब किसी भी बात पर अधिक बल दिया जाता है या उस बात पर अतिरिक्त जोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे निपात कहते है। वाक्य को अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य में होता है। निपात को अवधारक भी कहा […]
जिन वाक्यों में किसी विशेष शब्द के द्वारा खुशी, दुख, घृणा, आश्चर्य आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं। विस्मयादिबोधक को एक चिन्ह (!) से भी प्रकट करते है। जिसे विस्मयादिबोधक चिन्ह कहते है। उदाहरण- ‘अरे! इतनी मोटी पुस्तक।’ इस वाक्य में अरे शब्द के द्वारा आश्चर्य को दर्शाया गया है और […]
जो शब्द किसी एक शब्द का संबंध किसी दूसरे शब्द से बताते है उसे संबंध बोधक कहते है। संबंध बोधक में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से दर्शाया जाता है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे: के ऊपर, के बाद, हेतु, लिए, कारण, मारे, चलते, संग, साथ, सहित, बिना, बगैर, अलावा, […]
वे शब्द जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे: और, बल्कि, तथा, अथवा, यदि, किंतु, अन्यथा, हालांकि, लेकिन, इसलिए आदि| उदाहरण: इस वाक्य में अमित, देव को एक दूसरे से जोड़ा गया है। इन्हे जोड़ने […]
जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, संज्ञा, और सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है, उसे विशेषण कहते हैं। जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी […]
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘प्रति’ और ‘अय।’ प्रति का अर्थ है साथ में, लेकिन अंत में और अय का अर्थ है चलने वाला। इसलिए प्रत्यय का अर्थ है साथ में लेकिन अंत में चलने वाला। वे शब्द जो किसी अन्य शब्द के अंत में जुड़कर अपनी प्रकृति के अनुसार शब्द का अर्थ […]
उपसर्ग दो शब्दों ‘उप’ और ‘सर्ग’ से जुड़कर बना हुआ है। उपसर्ग का अर्थ है किसी शब्द के पास आ कर नया शब्द बनाना। उपसर्ग किसी भी शब्द के आरंभ में लगाया जाता है, जिससे उस शब्द का अर्थ बदल जाता है और एक नया शब्द बनता है। उपसर्ग किसी शब्द के आरंभ में जुड़ने […]