शब्दों की जानकारी और उस शब्द का पूर्ण ज्ञान होना शब्द विचार कहलाता है। शब्द विचार हिन्दी व्याकरण का दूसरा भाग है। इसके अंतर्गत ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समूह जैसे-भेद-उपभेद, संधि-विच्छेद आदि को पढ़ा जाता है। इसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार […]
विराम का अर्थ है “रुकना या ठहरना” किसी भी वाक्य को लिखते या बोलते समय बीच में कुछ पल का ठहराव आता है यही ठहराव या रुकना उस वाक्य को स्पष्ट, अर्थवान, भावपूर्ण बनाती है। लिखित भाषा में वाक्य प्रयोग के समय कुछ चिन्हों का प्रयोग किया जाता है वाक्य में कुछ पल के ठहराव […]
जिससे शब्द की जाति का बोध होता है तथा उनका अलग अलग वर्गीकरण किया जाता है, उसे लिंग कहते है। हिंदी में दो लिंग होते है– स्त्रीलिंग और पुल्लिंग। 1.स्त्रीलिंग- स्त्री और लिंग दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, इसलिए जो शब्द स्त्री जाति का बोध कराते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। जैसे- […]
सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’ या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है।संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे– सम् + तोष = संतोष देव + इंद्र = […]
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य का सम्बन्ध किसी दूसरे शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक कहते हैं। कारक का सीधा सम्बन्ध क्रिया से ही होता है। किसी कार्य को करने वाला कारक यानि जो भी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है। कारक को प्रकट करने […]
अलंकार दो शब्दों “अलम+कार” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सजाना या आभूषण। जिस प्रकार स्त्रियाँ अपने शरीर को सजाने के लिए आभूषणों का प्रयोग करती हैं, उसी प्रकार काव्य को सजाने और उसे आकर्षित बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। अलंकार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं 1.शब्दालंकार 2. अर्थालंकार […]
जब दो या दो से अधिक पद अपने प्रत्ययों या विभक्तियों को छोड़कर मिलते हैं तो समास कहलाते है। साधारण शब्दों में, जब अनेक शब्द मिलकर पद बनाते हैं तथा दो या उससे अधिक शब्दों के संयोग से जब कोई नया शब्द बनता है और उसका नया अर्थ निकलता है तो उसे समास कहते है। […]
भूमिका वाच्य शब्द का अर्थ होता है- बोलने का विषय। वाच्य को अंग्रेज़ी में “voice” कहते हैं। वाच्य उस रचना को कहते हैं जिससे यह पता चलता है कि क्रिया को मूल रूप से चलाने वाला कर्ता है, कर्म है या भाव है। वाच्य की परिभाषा वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी […]