भूमिका
वाच्य शब्द का अर्थ होता है- बोलने का विषय। वाच्य को अंग्रेज़ी में “voice” कहते हैं। वाच्य उस रचना को कहते हैं जिससे यह पता चलता है कि क्रिया को मूल रूप से चलाने वाला कर्ता है, कर्म है या भाव है।
वाच्य की परिभाषा
वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है, यह क्रिया के जिस रूप से पता चलता है, वह वाच्य कहलाता है।
उदाहरण
- सीता खाना बनाती है। इस वाक्य में ‘सीता’ कर्ता है। वह कार्य को कर रही है। इस वाक्य में कर्ता की प्रधानता है।
- सीता द्वारा खाना बनाया जाता है। इस वाक्य में ‘ द्वारा’ का प्रयोग होने के कारण कर्ता की प्रधानता खत्म हो गई है।‘खाना’ कर्म है तथा ‘बनाना’ क्रिया है। अतः इस वाक्य में कर्म की प्रधानता है।
- मुझसे सर्दियों में नहीं नहाया जाता।इस वाक्य में कर्ता एवं कर्म प्रधान न होकर ‘नहीं नहाया जाता’ भाव मुख्य है।
वाच्य के प्रकार | vachya ke bhed
वाच्य के तीन प्रकार होते हैं-
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य
जिस वाक्य में कर्ता प्रधान होता है एवं क्रिया, पद के लिंग और वचन के अनुसार होती है, वहाँ कर्तृवाच्य होता है।
उदाहरण
- राम पत्र लिखता है। इस वाक्य में ‘राम’ कर्ता है एवं ‘पत्र’ कर्म तथा ‘लिखना’ क्रिया है। यहाँ कर्ता ‘राम’ की प्रधानता है।
- दर्जी कपड़े सिलता है। इस वाक्य में ‘दर्जी’ कर्ता है एवं ‘कपड़े’ कर्म है तथा ‘सिलना’ क्रिया है। यहाँ कर्ता ‘दर्जी’ की प्रधानता है।
- मोहन पुस्तक पढ़ता है| इस वाक्य में ‘मोहन’ कर्ता है एवं ‘पुस्तक’ कर्म है एवं ‘पढ़ना’ क्रिया है। यहाँ कर्ता ‘मोहन’ की प्रधानता है।
विशेष
- कर्तृवाच्य में कर्ता कारक होता है।
- कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाएँ होती है।
2. कर्मवाच्य
कर्मवाच्य में क्रिया का सीधा संबंध कर्म से होता है एवं जहाँ वाक्य में क्रिया पद का लिंग, वचन आदि कर्म के अनुसार होता है, वहाँ कर्म वाच्य होता है। कर्म वाच्य में क्रिया सकर्मक होती है।
उदाहरण
- बच्चे द्वारा क्रिकेट खेला जाता है। वाक्य में ‘द्वारा’ का प्रयोग होने से “बच्चे” की प्रधानता समाप्त हो गई एवं खेलना यहाँ प्रधान है और इस क्रिया का सीधा संबंध कर्म से है।
- माली द्वारा पौधे लगाए गए है। वाक्य में ‘द्वारा’ का प्रयोग होने से “माली” की प्रधानता समाप्त हो गई एवं ‘पौधे’ कर्म है तथा ‘लगाना’ क्रिया है। यहाँ क्रिया का सीधा संबंध कर्म से है।
- नानी के द्वारा कहानी सुनाई जाती है। वाक्य में ‘द्वारा’ का प्रयोग होने से “नानी” की प्रधानता समाप्त हो गई एवं कहानी सुनाना यहाँ प्रधान है। यहाँ क्रिया का सीधा संबंध कर्म से है।
कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल-
- जिस वाक्य में कर्ता ज्ञात ना हो। जैसे- खाना भेजा गया।
- जब बिना चाहे कोई क्रिया अचानक हो जाए। जैसे- घर में आग लग गई।
- जिस वाक्य में कर्त्ता प्रकट न हो। जैसे- चोरों का पता लगाया जा रहा है।
- सूचना में, जहाँ कर्ता निश्चित नहीं हो- जैसे- गुनेहगार को कल पेश किए जाए।
विशेष
- कर्मवाच्य में कर्त्ता की प्रधानता को समाप्त करने के लिए ‘के द्वारा’ एवं ‘द्वारा’ का प्रयोग किया जाता है।
- कर्मवाच्य केवल ‘सकर्मक’ क्रिया से बनता है क्योंकि यह कर्म प्रधान है।
3. भाववाच्य
जिस वाक्य में क्रिया पद पर कर्ता और कर्म के लिंग और वचन का कोई प्रभाव नहीं होता, वहाँ भाववाच्य होता है। इसमें केवल भाव को प्रधानता दी जाती है।
उदाहरण
- मुझसे खाया नहीं जाता। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया है एवं ‘खाया नहीं जाता’ भाव की प्रधानता है।
- मोहन से झुका नहीं जाता। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग है एवं ‘झुका नहीं जाता’ भाव की प्रधानता है।
- सीता से चला नहीं जाता। वाक्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग है एवं ‘चला नहीं जाता’ भाव की प्रधानता है।
भाववाच्य के प्रयोगस्थल
- जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता वहाँ मूल कर्ता सामान्य होता है; जैसे– चलो बाहर चला जाए।
- असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ किया जाता है; जैसे – अब तो कुछ याद भी नहीं रखा जाता।
विशेष
- भाववाच्य में क्रिया हमेशा पुल्लिंग, एकवचन तथा अकर्मक होती है।
- ज़्यादातर भाववाच्यों में नकारात्मक वाक्यों का प्रयोग किया जाता है।
अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
1.कर्मवाच्य वाक्यों की पहचान कैसे की जाती है?
उत्तर: कर्मवाच्य वाक्यों में कर्ता की प्रधानता को समाप्त करने के लिए कर्ता के साथ ‘के द्वारा’ एवं ‘द्वारा’ का प्रयोग किया जाता है। कर्मवाच्य केवल सकर्मक क्रिया से बनता है।
2. मुझसे चला नहीं जाता। वाच्य की पहचान कीजिए।
उत्तर: इस वाक्य में ‘नहीं’ का प्रयोग कर असमर्थता प्रकट की गई है एवं भाव की प्रधानता है। यहाँ भाववाच्य है।
3. अकर्मक और सकर्मक दोनों क्रियाओं का प्रयोग किस वाच्य में किया जाता है?
उत्तर: कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं का प्रयोग होता है।
4. ‘के द्वारा’ एवं ‘द्वारा’ का प्रयोग वाच्य में किसकी प्रधानता समाप्त करने के लिए किया जाता है?
उत्तर: कर्मवाच्य में कर्ता की प्रधानता को समाप्त करने के लिए ‘के द्वारा’ एवं ‘द्वारा’ का प्रयोग किया जाता है।
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