वाक्य विचार की परिभाषा

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाए, ‘वाक्य’ कहलाता है।विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को ‘वाक्य’ कहते हैं।

जिससे वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं।

 जैसे- “विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही है।”

वाक्य ऐसे पदसमूह का नाम है जिसमें योग्यता, आकांक्षा दोनों वर्तमान हों। उसे वाक्य कहते हैं।

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वाक्य के दो भाग होते है –

(1)उद्देश्य

(2)विद्येय 

(1) उद्देश्य 

वाक्य का वह भाग, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।

वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।

जैसे- “पूनम किताब पढ़ती है।” 

       “सचिन दौड़ता है।”

इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है।

उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं।

जैसे- 1. संज्ञा- मोहन गेंद खेलता है।

  1. सर्वनाम- वह घर जाता है।
  2. विशेषण– बुद्धिमान सदा सच बोलते हैं।
  3. क्रिया-विशेषण- पीछे मत देखो।
  4. क्रियार्थक संज्ञा- तैरना एक अच्छा व्यायाम है।
  5. वाक्यांश- भाग्य के भरोसे बैठे रहना कायरों का काम है।

उद्देश्य के भाग

उद्देश्य के दो भाग होते है-

(i) कर्ता

(ii) कर्ता का विशेषण या कर्ता से संबंधित शब्द।

(2) विद्येय  

उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विद्येय कहते है।

जैसे- “पूनम किताब पढ़ती है।”

इस वाक्य में ‘किताब पढ़ती’ है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।

वाक्य के कर्ता (उद्देश्य) को अलग करने के बाद वाक्य में जो कुछ भी शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है।

इसके अंतर्गत विधेय का विस्तार आता है। 

जैसे- लंबे-लंबे बालों वाली लड़की ‘अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर गई’ ।

इस वाक्य में विधेय (गई) का विस्तार ‘अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर’ है।

विशेष-आज्ञासूचक वाक्यों में विद्येय तो होता है किन्तु उद्देश्य छिपा होता है।

जैसे- “वहाँ जाओ।”

    “खड़े हो जाओ।”

इन दोनों वाक्यों में जिसके लिए आज्ञा दी गई है वह उद्देश्य अर्थात ‘वहाँ न जाने वाला ‘(तुम) और ‘खड़े हो जाओ’ (तुम या आप) अर्थात् उद्देश्य दिखाई नही पड़ता वरन छिपा हुआ है।

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विधेय के भाग

विधेय के छः भाग होते है-

(i) क्रिया

(ii) क्रिया के विशेषण

(iii) कर्म

(iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द

(v) पूरक

(vi)पूरक के विशेषण।

विधेय के प्रकार

विधेय दो प्रकार के होते हैं-

 (i) साधारण विधेय (ii) जटिल विधेय

(i) साधारण विधेय

 साधारण विधेय में केवल एक क्रिया होती है। इसका वाक्य बिल्कुल सरल या साधारण होता है।

जैसे- “राम पढ़ता हैं।”

“वह लिखती है।”

(ii) जटिल विधेय-

 जब विधेय के साथ पूरक शब्द प्रयुक्त होते हैं, तो विधेय को जटिल विधेय कहते हैं।

पूरक के रूप में आनेवाला शब्द संज्ञा, विशेषण, सम्बन्धवाचक तथा क्रिया-विशेषण होता हैं।

जैसे- 1. संज्ञा : मेरा बड़ा भाई ‘दुकानदार’ है।

  1. विशेषण : वह आदमी ‘सुस्त’ है।
  2. सम्बन्धवाचक : ये पाँच सौ रुपये ‘तुम्हारे’ हुए।
  3. ‘क्रिया-विशेषण’ : आप ‘कहाँ’ थे।

वाक्य के भेद

1) अर्थ के आधार पर

2) वाक्य के आधार पर

1) रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है-

(i) साधरण वाक्य या सरल वाक्य 

(ii) मिश्रित वाक्य 

(iii) संयुक्त वाक्य 

(i) साधरण वाक्य या सरल वाक्य:-

जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है।

जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।

इसमें एक ‘उद्देश्य’ और एक ‘विधेय’ रहते हैं।

जैसे- ‘बिजली चमकती है’,

       ‘पानी बरसा’ ।

इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य, अर्थात कर्ता और विधेय, अर्थात् क्रिया है। अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं।

(ii) मिश्रित वाक्य:

जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे ‘मिश्रित वाक्य’ कहते हैं।

जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य  तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य हो, तब मिश्र वाक्य बनता है।

 जैसे-

1) “मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।”

2) “सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।”

उपर्युक्त वाक्यों में ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि’ तथा ‘सफल वही होता है’ मुख्य उपवाक्य हैं और ‘भारत जीतेगा’ तथा ‘जो परिश्रम करता है’ गौण उपवाक्य, इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।

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(iii) संयुक्त वाक्य 

जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।

जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।

जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।

जैसे- 

1) वह सुबह गया और शाम को लौट आया। 

2) प्रिय बोलो पर असत्य नहीं। 

3) उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।

4) मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और 

यह सभी वाक्य और, पर, किंतु, की आदि संयोजक शब्दों से जुड़े हुए है, इसलिए यह संयुक्त वाक्य है।

(2) वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर

अर्थ के आधार पर वाक्य मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते है-

(i) सरल वाक्य 

(ii) निषेधात्मक वाक्य 

(iii) प्रश्नवाचक वाक्य 

(iv) आज्ञावाचक वाक्य 

(v) संकेतवाचक वाक्य 

(vi) विस्मयादिबोधक वाक्य 

(vii) विधानवाचक वाक्य

(viii) इच्छावाचक वाक्य 

(i) सरल वाक्य :-

वे वाक्य जिनमें कोई बात साधरण बात  ढंग से कही जाती है, सरल वाक्य कहलाते है।

जैसे- “राम ने बाली को मारा।” 

“राधा खाना बना रही है।”

(ii) निषेधात्मक वाक्य:-

जिन वाक्यों में किसी काम के न होने या न करने का बोध हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते है।

जैसे- “आज वर्षा नही होगी।”

     “मैं खाना नहीं खाऊँगा।”

(iii) प्रश्नवाचक वाक्य:

वे वाक्य जिनमें प्रश्न पूछने का भाव प्रकट हो, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते है।

जैसे- “राम ने रावण को क्यों मारा?”

        “तुम कहाँ रहते हो ?”

(iv) आज्ञावाचक वाक्य :-

जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है।

जैसे- “परिश्रम करोगे तो फल जरूरी मिलेगा।” 

        “बड़ों का सम्मान करो।”

(v) संकेतवाचक वाक्य:

 जिन वाक्यों से शर्त्त (संकेत) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते है।

जैसे- “यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे।”

      “अगर वर्षा होगी तो फसल भी होगी।”

(vi)विस्मयादिबोधक वाक्य:

जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा आदि का भाव ज्ञात हो उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है।

जैसे- “वाह! तुम आ गए।”

“हाय! मैं लुट गया।”

(vii) विधानवाचक वाक्य:-

 जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है।

जैसे- “वह दौड़ रहा है।”

     “राम पढ़ रहा है।”

(viii) इच्छावाचक वाक्य:- 

जिन वाक्यों से इच्छा, आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते है।

जैसे- “आज तो मैं केवल फल खाऊँगा।”

        “भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।”

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अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1)वाक्य विचार किसे कहते है?

उत्तर: वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाए, ‘वाक्य’ कहलाता है।

विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को ‘वाक्य’ कहते हैं।

2)वाक्य के कितने भाग है?

उत्तर: वाक्य के दो भाग होते है-

(1)उद्देश्य

(2)विद्येय 

3)वाक्य के कितने भेद है?

उत्तर: वाक्य के दो भेद है-

1) रचना के आधार पर

2) वाक्य के आधार पर

4)”छी! कितनी गंदगी है!”

दी गई पंक्ति में कौन-सा वाक्य है?

उत्तर: दी गई पंक्ति में विस्मयादिबोधक वाक्य है क्योंकि इसमें घृणा का भाव दिखाई दे रहा है।

5) “तुम यहाँ क्यों आए हो?”

इस पंक्ति में कौन सा वाक्य है?

उत्तर: इस वाक्य में प्रश्न पूछा गया है, इसलिए इस वाक्य में प्रश्न बोधक वाक्य है।

Category : Hindi
Tags : अर्थ के आधार पर , उद्देश्य , वाक्य के आधार पर , वाक्य के भेद , वाक्य विचार , विद्येय

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