“राष्ट्र ध्वज” , यह शब्द एक स्वतंत्र राज्य के लिए बहुत ही बड़ा शब्द है। इस शब्द का अर्थ बहुत ही महत्वपूर्ण भी माना जाता है। राष्ट्रध्वज उस राष्ट्र की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हर एक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रध्वज होता है जिसे तिरंगा कहते हैं। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह हर एक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।
26 जनवरी 2002 को, स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों पश्चात् राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन किया गया। राष्ट्रध्वज संहिता से आशय भारतीय ध्वज फहराने तथा प्रयोग को लेकर बताए गए निर्देश से है। इस संशोधन में आम जनता को अपने घरों तथा कार्यालयों में साल के किसी दिन भी ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई पर साथ में, ध्वज के सम्मान में कोई कमी न आये इस बात का भी ख़ास खयाल रखने का निर्देश दिया गया।पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार और उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई। अब तो हर गणतंत्र और स्वतंत्र दिवस के अवसर पर सभी जगह ध्वज रोपण होता है।
महात्मा गाँधी ने राष्ट्रध्वज के निर्माण में विषेश भूमिका निभाया, अतः उनके शब्दों में:
“सभी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिक के ध्वज पर बने सितारे और पट्टीयों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आवाहन करता है।”- महात्मा गाँधी
हर राज्य की अलग होती है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज की बनावट अलग है। “तिरंगा” नाम से ही जान पड़ता है, तीन रंगों वाला। हमारे राष्ट्रध्वज में तीन महत्वपूर्ण रंगों के साथ अशोक चक्र (धर्म चक्र) के रूप में तिरंगे की शोभा बनाए हुए हैं। इसमें तीन पत्तियां होती है, केसरिया सफेद और हरा।इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 आरों के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 आरे मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।हमारे राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।
केसरिया– भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।
सफेद– शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।
हरा– खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।
हमारे राष्ट्र ध्वज का इतिहास रहा है जो कुछ ऐसा था;
1.सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
2.दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।
3.तीसरा झण्डा 1917 में, जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
4.चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
5.पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
6.छठवां झंडा, तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।
तिरंगे का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व प्रारम्भ हो गया था। जिसमें समय-समय पर सोच विचार कर संशोधन किए गए। यह सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के ध्वज के रूप में था, पर 1947 में तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया और यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण था।
अनेक पढ़ाव को पार कर राष्ट्रध्वज तिरंगा आज भारत की शान है। राष्ट्रध्वज का अपमान देश का अपमान है अतः इसका दोषी दंड का पात्र है। ध्वज के अपमान किए जाने पर दंड स्वरूप तीन वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है। राष्ट्रध्वज से संबंधित अनेक रोचक तथ्य तथा निर्देश है जैसे झंडे का प्रयोग कैसे करें, कैसे न करें, कब झंडे को झुकाया जाता है आदि, इन सभी उपदेशों का हम सबको गंभीरता से पालन करना चाहिए।
प्रश्न/उत्तर
प्रश्न 1.भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज पहली बार कहां फहराया गया था ?
उत्तर- अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में। इस झंडे में लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पटि्टयां थीं। जिसमें सबसे ऊपर हरे रंग की पट्टी पर कमल के फूल बने थे। बीच में पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था। जबकि सबसे निचली लाल रंग की पट्टी पर चांद और सूरज बने थे।
प्रश्न 2. देश में किस कानून के तहत तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं?
उत्तर – देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.
प्रश्न 3.वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिजाइन किसने तैयार किया था?
उत्तर – वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिजाइन पिंगली वेंकय्या ने तैयार किया था।
प्रश्न 4. तिरंगा शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर- तिरंगा शब्द का अर्थ हैं- तीन रंगों का एक झंडा जो समान क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर बैंड में व्यवस्थित होता है ।
प्रश्न 5. अशोक चक्र किसका प्रतीक है?
उत्तर- सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक चक्र (पहिया) बना हुआ है। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है।
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