प्राचीन भारत से ही भारतीय समाज में लड़कों को लड़कियों से अधिक महत्व दिया जाता है। एक घर में जहाँ पर लड़का होने की खुशी मनाई जाती थी वहीं दूसरी तरफ लड़की होने का दुख भी उतना ही मनाया जाता था। पितृसत्ता समाज की विचारधारा के अनुसार लड़के को वंश बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना […]
विज्ञापन के प्रभाव विज्ञापन किसी वस्तु के बारे में जानकारी देना और लोगों को प्रभावित कर वस्तु के मूल्य को बढ़ाना विज्ञापन कहलाता है।विज्ञापन के द्वारा लोगों को बाजार की वस्तुओं से अवगत कराया जाता है। विज्ञापन के प्रभाव उस वस्तु को प्रसिद्धि से दिखाई देते है। विज्ञापन के प्रभाव आधुनिकता के दौर में हम […]
राष्ट्रीय चिह्न एक प्रतीक या मुहर है जिसे किसी राष्ट्र या बहु-राष्ट्रीय राज्य द्वारा अपने प्रतीक के रूप में उपयोग के लिए आरक्षित किया जाता है। कई देशों में राष्ट्रीय प्रतीक है। हालांकि राष्ट्रीय प्रतीक होना जरूरी नहीं है, इसका झंडा किसी देश की पहचान भी कर सकता है। राष्ट्रीय चिन्ह कुछ भी हो सकता […]
राष्ट्रीय पशु का अर्थ होता हैं- एक जानवर जो किसी देश का प्रतीक है। भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ हैं। बाघ एक जंगली जानवर है, जिसे भारत में भारतीय सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया है। राजसी बाघ, तेंदुआ टाइग्रिस धारीदार जानवर है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर […]
जीवन में हार जीत तो लगी रहती है। हम यदि कोई भी कार्य कर रहे तो उसका एक ही परिणाम होगा या तो जी या तो हार। हमें कोई भी कार्य बिना उसका परिणाम सूची करना चाहिए। परिणाम कुछ भी हो पर हमें हमेशा अच्छा ही सोचना चाहिए। कहा जाता है मन के हारे हार […]
महाकवि कालिदास ने अपनी विश्वप्रसिद्ध रचना ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ में महर्षि कण्व से कहलवाया है– “अर्थो हि कन्या परकीय एव।” अर्थात् कन्या पराया धन है, न्यास है, धरोहर है। न्यास और धरोहर की सावधानी से सुरक्षा करना तो सही है, किन्तु उसके पाणिग्रहण को दान कहकर वर–पक्ष को सौदेबाजी का अवसर प्रदान करना तो कन्या–रत्न के […]
जब आवै संतोष धन सब धन धुरि समान संतोषी सदा सुखी गौधन गजधन वाजिधन और रतन धन खानि जब आवै संतोष धन सब धन धुरि समान आज भले ही संतोषी स्वभाव वाले व्यक्ति को मुर्ख और कायर कहकर हंसी उड़ाई जाय लेकिन संतोष ऐसा गुण हैं जो आज भी सामाजिक सुख शांति का आधार बन […]
कहा जाता है कि एक सुघड़, सुशील और सुशिक्षित स्त्री दो कुलों का उद्धार करती है। विवाह से पहले वह अपने मातृकुल को सुधारती है और विवाह के बाद अपने पतिकुल को। उनके इस महत्त्व को प्रत्येक देश–काल में स्वीकार किया जाता रहा है, किन्तु यह विडम्बना ही है कि उनके अस्तित्व और शिक्षा पर […]
राष्ट्र को विकसित बनाने में युवाओं की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भागीदारी हो सकती है। आगामी 25 वर्षो में भारत को विकसित देशों की श्रेणी में शामिल करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। प्रधानमंत्री का भाषण आजादी के अमृत काल में युवाओं के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करेगा। जिस तरह से इंजन को चालू करने […]