Welcome to Chapter 7, "Mere Bachpan Ke Din " Question and Answer Guide for Hindi Kshitij Bhag 2. Our concise, expert-curated solutions align with the NCERT curriculum, enhancing comprehension and exam performance.
प्रश्न 1.
‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर
उस समय लड़कियों की दशा अच्छी नहीं हुआ करती थी, क्योकि भ्रूणहत्या कर दी जाती थी। लेखिका के घर में ही कई पीढ़ियों बाद लगभग २०० वर्षो बाद किसी कन्या का जन्म हुआ था।
(ख) लड़कियों के जन्म के सम्बन्ध में आज की स्तिथि पहले की स्तिथि से बहुत अलग है आज लड़कियों को पहले की तरह गर्भ में नहीं मारा जाता है। परन्तु आज भी देश के कई हिस्सों में लिंग भेद है। परन्तु आज की परिस्तिथि पहले से लाख गुना बेहतर है। ये कहना गलत नहीं होगा की आज लड़किया लड़को से बोहोत आगे है।
प्रश्न 2.
लेख़िका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं ?
उत्तर-
लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि लेखिका की रुचि उर्दू-फ़ारसी में नहीं थी। उसे लगता था कि वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख सकती है। उसे उर्दू-फ़ारसी पढ़ाने के लिए जब मौलवी साहब आते थे तब वह चारपाई के नीचे छिप जाती थी। मौलवी साहब ने पढ़ाने आना बंद कर दिया और वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख पाई।
प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर
लेखिका ने अपनी माता का व्यक्तित्व इस तरह बताया है :-
लेखिका के परिवार में किसी को भी हिंदी का ज्ञान नहीं था ,लेखिका की माता ही अपने साथ हिंदी भाषा लाई थी। उसको थोड़ा बहुत संस्कृत का भी ज्ञान था वो गीता के श्लोक पड़ा करती थी , पहले पहल लेखिका ने पंचतंत्र अपनी माता से ही पढ़ना सीखा। इससे यह भी पता चलता है की वो भगवन में आस्था रखने वाली थी, लेखिका ने अपनी माता से ही मीरा के गीत गाना सीखी थी। ।
प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा इसलिए कहा है क्योकि आज का समजा धर्म मजहब के नाम पर दूरिया बनाते जा रहा है। लेकिन लेखिका के परिवार और जवारा के नवाब के दोनों का बहुत अच्छा सम्बन्ध था। भाषा, धर्म , रीतिरिवाज यह सब कोई मायने नहीं रखता था। वो लोग सम्बन्धी ना होकर भी आपस में चाचा ताये बुआ इत्यादि के सम्बन्धो से बंधे थे। परन्तु आजके समय में ऐसा देख पाना बहुत दुर्लभ है। यही कारण है की लेखिका ने आज के सन्दर्भ में इसे स्वपन्न जैसा कहा है।
प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थीं। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थीं। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि मै होता तो महादेवी से मेरी सम्बन्धो के अनुसार उनसे अपेक्षा होती यथा :-
अगर में उसने सेवक होता तोह मेरी उनसे यह अपेक्षा होती के मुझे वेतन के साथ साथ सम्मान भी मिले।
अगर में उनका सहपाठी होता तो मेरी अपेक्षा होती के हम दोनों मिल कर समान काम करे और दोनों एक दूसरे का सम्मान करे और कभी कभी हम साथ बैठ कर कविता भी लिखे।
अगर में उनका जूनियर होता तो मेरी यह अपेक्षा होती के में उनका काम तो करू पर उन्हें भी मेरी मदद करनी चाहिए ,और कभी कभी जब भी उन्हें समय मिले वो मुझे कहानिया सुनाये। और जो वो लिख रही हो वो भी सुनाये।
प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था।अगर मुझे इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो मुझे बड़ा ही गर्व महसूस होगा क्योकि मेरी कोई वास्तु देख हित में काम आ रही है। और देश हित से बड़ा कुछ नहीं है मुझे अपना उपहार देते हुए लेने के समय से दुगुनी ख़ुशी होगी।
प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए मेरे मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कुछ स्मृति उभरकर आई है जो इस प्रकार की है :
मुझे बचपन में न जाने कहा से पर मुझे नृत्य का शौक हो गया था। हलाकि पहले मेरे घरवाले इसके बिलकुल खिलाफ थे , परन्तु मेरे जिद्द के आगे उनकी न चल पाई। और में नृत्य कक्ष जाने लगा। एक बार की बात है मेरे स्कूल में वार्षिक उत्सव होने जा रहा था। कही न कही से यह बात मेरे प्रधानाचार्य को पता लग गई के में नृत्यकक्ष जाता हु और ठीक ठाक नृत्य कर लेता हु। तो मेरे प्रधानचर्या ने मुझे ही नृत्य सीखने का जिम्मा दिया , हलाकि सीखने से कही गुना ज्यादा मुश्किल था सीखना , बच्चो को सिखाते हुए मुझे महसूस हुआ की मेरे मास्टर को भी कितनी परेशानी हुई होगी मुझे सीखने में। जैसे तैसे हमने अभ्यास पूर्ण किआ उस डांस में मै लीड कर रहा था मेरे सिखाये हुए बच्चो ने भी बहुत अच्छा प्रदशन किया। उन दिन मुझे मंच पर बुलाकर उपहार दिया गय। उस ख़ुशी को शायद मै शब्दों में नहीं बता सकता।
प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर
26 जनवरी, 2019
आज विद्यालय में गणतंत्र दिवस का आयोजन है। सभी छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त सैकड़ों अतिथि भी मंडप में पधारे हैं। सामने मेरे माता-पिता तथा अनेक परिचित जन बैठे हैं। मैं मंच के पीछे अपनी बारी की प्रतीक्षा में बैठा हूँ। मुझे कविता बोलनी है। हालाँकि मैंने पहले भी मंच पर कविता बोली है, परंतु जाने क्यों, आज मेरा दिल धक्-धक् कर रहा है। मेरे शरीर में हरकत हो रही है। जैसे-जैसे मेरे बोलने का समय निकट आ रहा है, मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही है। अब मैं न तो मंच का कोई कार्यक्रम सुन पा रही हूँ, न और किसी की बात सुन रही हूँ। मेरा सारा ध्यान अपना नाम सुनने में लगा है। डर भी लग रहा है कि कहीं मैं कविता भूल न जाऊँ। इसलिए मैंने लिखित कविता हाथ में ले ली है। यदि भूलने लगूंगा तो इसका सहारा ले लूंगा लो, मेरा नाम बुल चुका है। मैं स्वयं को सँभाल रहा हूँ। मेरे कदमों में आत्मविश्वास आ गया है। अब मैं नहीं भूलूंगा । में तालिओं की गड़गड़ाहट से अपनी कविता की कीमत को जान गया था , और उसका अर्थ सब तक बड़े अच्छे से पंहुचा है।
प्रश्न 10.
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर
विद्वान - मुर्ख
अनंत - अंत
निरपराधी - अपराधी
दंड - पुरस्कार
शांति-विवाद , अशांति
प्रश्न 12.
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर-
समस्त शब्द विग्रह समास का नाम
परमधाम ‘परम धाम (घर) है जो (स्वर्ग) बहुव्रीहि
कुल-देवी कुल की देवी तत्पुरुष
पहले-पहल सबसे पहले अव्ययीभाव
पंचतंत्र पंच तंत्रों का समाहार द्विगु
उर्दू-फ़ारसी उर्दू और फ़ारसी द्वंद्व
रोने-धोने रोने और धोने द्वंद्व
कृपानिधान कृपा के निधान तत्पुरुष
प्रचार-प्रसार प्रचार और प्रसार द्वंद्व
कवि-सम्मेलन कवियों का सम्मेलन तत्पुरुष
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह तत्पुरुष
जेब-खर्च जेब के लिए खर्च तत्पुरुष
छात्रावास छात्रों के लिए आवास तत्पुरुष
जन्मदिन जन्म का दिन तत्पुरुष
निराहार बिना आहार नञ् तत्पुरुष
ताई-चाची ताई और चाची द्वंद्व
प्रश्न 13.
पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा-पाठ पूजा और पाठ
उत्तर
परमधाम = परम है जो धाम
दुर्गा-पूजा = दुर्गा की पूजा
कुल-देवी = कुल की देवी
पूजा-पाठ = पूजा और पाठ
पंचतंत्र = पांच तंत्रो का समूह
उर्दू-फ़ारसी = उर्दू और फ़ारसी
मनमोहन = मन को मोहने वाला