प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्रं हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के चित्रं सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?

प्रेमचंद के फटे जूतेनामक व्यंग्य को पढ़कर प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं-

उत्तर

प्रेमचंद का पूरा जीवन संघर्षमय रहा। उन्होंने मार्ग में आने वाली चट्टानों को ठोकरें मारीं। कोई और रास्ते नहीं खोजे। समझौते नहीं किए। लेखक के शब्दों में - “तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।

प्रेमचंद का व्यक्तित्व अपराजेय था। उन्होंने कष्ट सहकर भी कभी हार नहीं मानी। उन्होंने निराश-हताश जीवन जीने की बजाय मुसकान बनाए रखी। उनकी नज़रों में तीखा व्यंग्य और आत्मविश्वास था। लेखक के शब्दों में–“यह कैसा आदमी है, जो खुद तो फटे जूते पहने फोटो खिंचा रहा है, पर किसी पर हँस भी रहा है।

प्रेमचंद जीवन-भर आर्थिक संकट झेलते रहे। उन्होंने गरीबी को ख़ुशी स्वीकार किया। वे बहुत सीधे-सादे वस्त्र पहनते थे। उनके पास पहनने को ठीक-से जूते भी नहीं थे। फिर भी वे हीनता से पीड़ित नहीं थे। उन्होंने फोटो खिंचवाने में भी अपनी सहजता बनाए रखी।

प्रेमचंद अंदर-बाहर से एक थे। लेखक के शब्दों में-”इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी-इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है।

प्रेमचंद ने जीवन-भर मानवीय मर्यादाओं को निभाया। उन्होंने अपने नेम-धरम को, अर्थात् लेखकीय गरिमा को बनाए रखा। वे व्यक्ति के रूप में तथा लेखक के रूप में श्रेष्ठ आचरण  करते रहे।


प्रश्न 2.
सही कथन के सामने () का निशान लगाइए-

  1. बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।

  2. लोग तो इत्र चुपड़कर फ़ोटो खिंचाते हैं जिससे फ़ोटो में खुशबू जाए।

  3. तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।

जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?

उत्तर-

प्रश्न 3.
नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
() जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
() तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं।
() जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?

उत्तर 

() लेखन ने व्यंगय कस्ते हुए कही कही सही बात ही कही है ,जूता अर्थात अज्ञान व्यक्ति टोपी अर्थात ज्ञानी व्यक्ति जो सम्मान का पूर्ण अधिकारी है , मगर अब तो जुटे की कीमत टोपी के कीमत से कई गुना बढ़ गई है। एक जुटे पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती है अर्थात आज के समय में एक अज्ञानी व्यक्ति के लिए २५-२५ ज्ञानी व्यक्तियो को काम करता हुआ आसानी से देखा जा सकता है।  

() तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं, व्यंग्य तानते हुए लेखक कह रहे है की लोग बस ऊपरी दिखावा करना जानते है भले ही अंदर से कैसी भी स्तिथि हो। लोग झूटी मुस्कान का पर्दा लिए हुए अंदर दुख का सेहलब लिए घूम रहे है। निचे से तलवा घिस गया है पर उंगलिया बची है। 

() जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो - लेखक का कहना है की प्रेमचंद ऐसे व्यक्ति जो कष्ट का सामना करके रास्ता मोड़ लेने है वो घृणित हैं , ऐसे व्यक्तिओ की तरफ वो हाथ की नहीं अपने पाँव की उंगलिओ से इशारा करते है।  समाज में जो भी घृणित व्यक्ति प्रेमचंद को दिखा उसे अपनी ठोकरों पर रखा, अपने जूते की नोक पर रखा, उसके विरुद्ध संघर्ष किए रखा।



प्रश्न 4.
पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है किफ़ोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?

उत्तर 

मेरे विचार से प्रेमचंद के बारे में लेखक का विचार यह रहा होगा कि समाज की परंपरा-सी है कि वह अच्छे अवसरों पर पहनने के लिए अपने वे कपड़े अलग रखता है, जिन्हें वह अच्छा समझता है। प्रेमचंद के कपड़े ऐसे थे जो फ़ोटो खिंचाने लायक होते। ऐसे में घर पहनने वाले कपड़े और भी खराब होते। लेखक को तुरंत ही ध्यान आता है कि प्रेमचंद जैसे नादर से है वैसे ही बहार से भी ये दिखावे से दूर रहने वाले व्यक्ति हैं। उनका रहन-सहन दूसरों से अलग है, इसलिए उसने अपनी टिप्पणी बदल दी।



प्रश्न 5.
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं?

उत्तर 

मुझे इस व्यंग्य की सबसे आकर्षक बात लगती है-विस्तारण शैली। लेखक फाटे जूते शीर्षक से प्रारम्भ कर प्रेमचद के पुरे जीवन को बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत कर दिया है , समाज की स्तिथि , समाज में चल रहे दिखावे, लेखक ने बड़ा ही बखूबी पेश किया है। बात से बात निकालने की यह व्यंग्य शैली बहुत आकर्षक लगती है 



प्रश्न 6.
पाठ मेंटीलेशब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?

उत्तर 

टीला शब्दराहमें  आनेवाली बाधा का प्रतीक है। जैसे राह में चलते हुए टीला जाने पर उसको पार करने के लिए बहुत मेहनत और परिश्रम की आवश्यकता होती है वैसे ही समजा में आने वाली बहुत ही मुसबतो का सामना करना पड़ता है जैसे छुआछूत, गरीबी, निरक्षरता अंधविश्वास आदि। जो मनुष्य की उन्नति में बाधक बनती है। परन्तु लेखक के अनुसार प्रेमचंद ने अपने सामने आने वाले सभी टीलों (मुसीबतो) का सामना डटकर किया।



प्रश्न 7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।

उत्तर 

विद्यार्थी अपने अनुभव से इसका उत्तर दें।


प्रश्न 8.
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?

उत्तर

वेशभूषा के प्रति लोगों की सोच में बहुत बदलाव आया है। भेशभूषा को ही आधार बन कर किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को परखा जाता है के यह व्यक्ति सम्मान पाने योग्य है भी या नहीं।  पहनावा ही आज पहला और व्यक्तित्व दूसरा असर डालता है। आज कई सरे स्थान ऐसे भी देखने को मिल जायेंगे जहा पर धोती पहन कर प्रवेश निषेध है।  इसी प्रकार कार्यालयों के कर्मचारी गण हमारी वेशभूषा के अनुरूप व्यवहार करते हैं। यही कारण है कि लोगों विशेषकर युवाओं में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। क्योकि आज का समाज केवल दिखावे का ही समाज है।



प्रश्न 9.
पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर-

    हौसला पस्त करना – उत्साह नष्ट करना।
    वाक्य अनिल कुंबले की फिरकी गेंदों ने श्रीलंका के खिलाड़ियों के हौसले पस्त कर दिए

    • ठोकर मारना चोट करना।
      वाक्य प्रेमचंद ने राह के संकटों पर खूब ठोकरें मारी

    • टीला खड़ा होना बाधाएँ आना।।
      वाक्य जीवन जीना सरल नहीं है। यहाँ पग-पग पर टीले खड़े हैं

    • पहाड़ फोड़ना बाधाएँ नष्ट करना।
      वाक्य प्रेमचंद उन संघर्षशील लेखकों में से थे जिन्होंने पहाड़ फोड़ना सीखा था, बचना नहीं।

    जंजीर होना बंधन होना।
    वाक्य स्वतंत्रता से जीने वाले पथ की सब जंजीरें तोड़कर आगे बढ़ते हैं।



    प्रश्न 10.
    प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।

    उत्तर-
    प्रेमचंद का व्यक्तित्व उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का प्रयोग किया है, वे हैं-

    • जनता के लेखक

    • महान कथाकार

    • साहित्यिक पुरखे

    • युग प्रवर्तक

    उपन्यास-सम्राट