Welcome to our comprehensive guide on Class 9 Hindi Sparsh's Chapter 2 "Dukh ka Adhikar ". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

प्रश्न 1} मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है

उत्तर

पोशाक केवल शरीर को ढकने का काम नहीं आती। बल्कि मनुष्य के जीवन में उसका बहुत बड़ा अस्तित्व है पोशाक से मनुष्य की काबिलियत , हैसियत , आर्थिक स्थिति एवं समाज में उसका स्थान का पता चलता है इसलिए मानव जीवन में उसका बहुत ही बड़ा महत्व है। 


प्रश्न 2} पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाता  है  ?

उत्तर-

जब हम अपने से किसी गरीब दुःखी व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा और निचली श्रेणी समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और ऐसे स्थिति में उसे किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं कर पाते हैं   इस परिस्थिति में पोशाक हमारे लिए बंधन और अकड़न बन जाती है 

प्रश्न 3} लेखक उस स्त्री के रोने के कारण क्यों नहीं जान पाया  ? 

उत्तर-

लेखक एक साफ़  सुथरी अच्छी पोशाक पहने हुए थे, और वह स्त्री फटे पुराने पोशाक पहनकर फुटपाथ पर बैठकर रो रही थी। लेखक के मन में इच्छा हुआ कि उस स्त्री के रोने का कारण जाने लेकिन यदि उस परिस्थिति में लेखक उस स्त्री के रोने का कारण जानने का प्रयत्न करता तो उस स्त्री के प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती इसलिए लेखक वह रोती हुई स्त्री का कारण नहीं जान पाया  



प्रश्न 4} भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करते थे  ? 

उत्तर- 

भगवाना एक साधारण व्यक्ति था शहर के पास उसका डेढ़ बीघे जमीन था वह उसी जमीन पर साग-सब्जियां , फल जैसे कि ख़रबूज़े  उगाता और उससे अपने सर पर ढोकर सब्जी मंडी और फुटपाथ पर बेचता इसी प्रकार वह अपना परिवार का  निर्वाह करता था   



प्रश्न 5} लड़के की मृत्यु का दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी  ?

उत्तर- 

बुढ़िया बहुत ही गरीब थी और उसके लड़के की मृत्यु होने पर घर में बहुत बड़ी विपदा पड़ी घर में खाने का एक दाना तक नहीं था सारे पैसे बुढ़िया के बेटे की अंतिम संस्कार पर खर्च हो गए  और बेटे के छोटे-छोटे बच्चे भूख से रोए थे दुसरे  तरफ़ उसकी बहू  बहुत बीमार थी  यह सारा चीज देखते हुए बुढ़िया बेबस होकर लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने चल गई। 



प्रश्न 6} बुढ़िया का दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई  ?

उत्तर- 

लेखक अपने पड़ोसी महिला और बुढ़िया दोनों के पुत्र का शोक देखा था उसने तुलना किया कि बुढ़िया के पुत्र का देहांत के दूसरे ही दिन बुढ़िया सब्जी मंडी में खरबूजे बेचने चले गए मानो जैसे कि उसके पास रोने धोने का समय और अधिकार दोनों ही नहीं थी और दूसरी तरफ लेखक के पड़ोस की संभ्रांत महिला जिसके पास धन की कोई कमी नहीं थी वह संभ्रांत महिला अपने पुत्र का शोक मनाते हुए बिस्तर पर ढाई महीने तक  पड़ी रही थी 



प्रश्न 7} बाज़ार के लोग खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे ? अपने शब्दो में लिखिए 

उत्तर-

बढ़िया बहुत ही गरीब और बेबस थी उसके घर में खाने का एक दाना ना तक नहीं था जिसके कारण वह अपने बेटे के मृत्यु के दूसरे दिन बाजार में खरबूजे बेचने चली गई बाजार पहुंचते ही बाज़ार के लोग उसकी परिस्थिति और गृह दशा ना देखकर उसे  बुरा - भला कहने लगे कोई लोग उसे घृणा से देखता , तो कोई लोग उसकी नियत को कोसता , तो कोई उसे रोटी पर पलने वाले लोग कहते थे , तो कोई  लोग उस बढ़िया को धर्म-ईमान बिगाड़ने वाली स्त्री कहकर उसकी उपेक्षा की  


प्रश्न 8} पास-पड़ोस का दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला ?

उत्तर-

लेखक ने उस बुढ़िया के बारे में जानने के लिए पास पड़ोस की दुकान वालों से बुढ़िया के बारे में पूछताछ करने लगा पूछताछ करने पर लेखक को पता चला कि - बुढ़िया का एक भगवान नाम का 23 वर्षीय एक जवान  बेटा था   और 1 दिन पहले उसके बेटे का सांप के डँस से मृत्यु हो गई बुढ़िया ने बहुत प्रत्यय किया अपने बेटे को बचाने का लेकिन वह बचा नहीं पाई बुढ़िया के घर में उसकी बहू और पोता-पोती है बुढ़िय  की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है दुकानदारों ने बताया कि बुढ़िया का  शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन है उसी में वह खरबूजे और सब्जियां उगाती है और उसे सब्जी मंडी और फुटपाथ पर  लाकर बेचती है ओर इसी से उसका घर में पालन पोषण करती है 



प्रश्न 9} लड़के को बचाने के लिए बुढ़ियां माँ ने क्या- क्या उपाय किए  ?

उत्तर-

बुढ़िया के लड़के भगवान को सांप के डँस से , बुढ़िया बहुत ही परेशान सी हो गयी बुढ़िया माँ अपने लड़के को बचाने के लिए वह ओझा को बुला लाई और ओझा से झाड़-फेंक करवाईं , पर कुछ फायदा नहीं हुआ। फिर बुढ़िया ने नागदेवता की पूजा की , पर कुछ ना हुआ। फिर परेशान बुढ़िया लोगो के बातों में आकर घर का आटा , अनाज दान-दक्षिणा के रूप में दे दिया लेकिन दुर्भाग्य से बुढ़िया , अपने लड़के को बचा नहीं पाई  


प्रश्न 10} लेखक ने बुढ़िया का दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया  ? 

उत्तर-

लेखक ने दोनों मॉं के पुत्र वियोग को देखा था उसने बुढ़िया मॉं के दुःख का अंदाज़ा लगाते हुए सोचा कि मेरे पड़ोस की संभ्रांत महिला के पुत्र के देहांत का शोक मनाते हुए बिस्तर पर ढाई महीने तक  पड़ी रही थी क्योंकि उसके पास धन का कोई कमी नहीं था जबकि बुढ़िया मां के पुत्र का देहांत के दूसरे ही दिन हुआ सब्जी मंडी में खरबूजे बेचने चली गई। क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह मंडी में जाने के लिए विवश हो गई लेखक या देखकर अंदाजा लगा रहे थे कि बूढ़े गरीब मां के पास अपने पुत्र के मरने का शोक मनाने का मानो कोई अधिकार ही नहीं है  


प्रश्न 11} पाठ का शीर्षकदुःख का अधिकारकहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट करें 

उत्तर-

लेखक द्वारा लिखित  कहानी"दुःख का अधिकार" पूरी तरह सार्थक है क्योंकि इस कहानी से पता चलता है कि अमीर लोग, जिनके पास धन का कोई कमी ना हो उसको दुःख मनाने  और शोक मनाने का पुरा अधिकार समय है जैसे कि वह पड़ोस की संभ्रांत महिला उस महिला का पुत्र के देहांत का शोक मनाते हुए , वह महिला बिस्तर पर ढाई महीने तक पड़ी रही थी और उसके देखभाल करने के लिए दो डॉक्टर भी उनके पास थे जबकि बुढ़िया बहुत ही गरीब थी उसके पुत्र के देहांत के बाद उसका घर चलाने वाला कोई नहीं था बीमार बहू और भुख से रोते पोता-पोती को देखकर बुढ़िया पुत्र के देहांत का दुसरे दिन खरबूजा बेचने चली गई। ना उस बुढ़िया को रोने का वक्त था और ना उसे शोक मनाने का अधिकार था। 


प्रश्न 12} जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियां में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है  

उत्तर-

उपरोक्त पंक्तियों से लेखक का आशय है कि जिस प्रकार हवा की लहरें कटी हुई पतंग को अचानक भूमि पर नहीं गिरने देता ठीक उसी प्रकार अमीर व्यक्ति जब किसी गरीब को कष्ट में देखते हैं , तो उस अमीर व्यक्ति के मन में भी कष्ट होता है लेकिन जब वह अमीर व्यक्ति उस गरीब के तरफ बढ़ते हैं तो उसकी पोशाक उसको उस गरीब व्यक्ति के सामने झुकने से रोकता है  



प्रश्न 13} इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़े है  

उत्तर-

ऊपर के पंक्तियों द्वारा लेखक कहना चाहता है कि कोई गरीब व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी उसका पालन पोषण है वह व्यक्ति सोचता है कि किस प्रकार उसके घर में चूल्हा जले और दो वक्त की रोटी बने लेकिन अक्सर अमीर व्यक्ति यहीं सोचते हैं कि गरीब लोग के लिए सिर्फ खाना-पीना और दो वक्त की रोटी ही सब कुछ होता है उनके लिए बेटा बेटी , खसम लुगाई , धर्म ईमान सब रोटी के टुकड़े के बराबर है   लेकिन वास्तव में उनकी सोच गलत है। 


प्रश्न 14} शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और ….. दुखी होने के भी एक अधिकार होता है।

उत्तर-

लेखक गरीब परिवार और धनी परिवार के शोक मनाने का उदाहरण देते हुए कहते हैं किहमारे समाज में धनी व्यक्ति के परिवार को शोक करने , गम मनाने और दुखी होने का पूरा अधिकार है क्योंकि शोक और गम मनाने और दुखी होने के लिए आपके पास पर्याप्त धन होना चाहिए आर्थिक स्थिति ठीक होनी चाहिए   जैसे कि पड़ोस की संभ्रांत महिला के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी इसलिए वह अपने पुत्र के देहांत का शोक ढाई महीने तक मनाते रहीं वहीं दूसरी तरफ गरीब व्यक्ति के परिवार जिसने घर में खाने का एक दाना तक नहीं , वह क्या ही दुःख मनाए जैसे कि वह बुढ़िया जो अपने बेटे के देहांत के बाद ही अपनी परिवार के पेट भरने के लिए कमाने चल पड़ी मानो उसके पास शोक मनाने और गम मनाने का कोई अधिकार ही ना हो