Welcome to Chapter 5 "Gram Shree" Question and Answer Guide for class 9. Our concise, expert-curated solutions align with the NCERT curriculum, enhancing comprehension and exam performance.

1.कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ क्यों कहा है?

उत्तर-

कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि उसकी शोभा अनुराग है। खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है। उस पर सूरज की धूप चमक रही है। इस शोभा के कारण पूरी धरती प्रसन्न दिखाई देती है। इसके कारण गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों की फसलें उग आई हैं। तरह-तरह के फूलों पर रंगीन तितलियाँ मँडरा रही हैं। आम, बेर, अनार आदि मीठे फल पैदा होने लगे हैं। आलू, गोभी, बैंगन, मूली, पालक, धनिया, लौकी, सेम, टमाटर, मिर्च आदि खूब फल-फूल रहे हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती फैलने लगी है। पक्षी आनंद विहार कर रहे हैं। ये सब दृश्य मनमोहक बन पड़े हैं। इसलिए गाँव सचमुच जन-मन को हरता है।


2.कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?

उत्तर-

कविता में वसंत ऋतु का वर्णन किया गया है।  वसंत ऋतु आते ही फूलो पर रंग बिरंगे फूल आने लगे है रंग बिरंगी तितलियाँ उसपर मडराने लगी है, हवा के झोके से ऐसा प्रतीत होता है कि फूल ही स्वयं उड़ उड़ कर इधर उधर जा रही है।  हर जगह खुशनुमा माहौल है। 

वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही आम , लीची आदि के पौंधों में बौर आने लगती है और आडू , खुमानी आदि के पेड़ों में रंग बिरंगी फूल खिलने लगते हैं जो प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं।


3.गाँव को ‘मरकत डिब्बे-सा खुला’ क्यों कहा गया है?

उत्तर-

कवि अपने गांव के हरे भरे सौंदर्य को देख रहे है। जो उन्हें बहुत सुंदर दिखाई दे रहा है। कवि कहते हैं प्रकृति अपनी इस  सौंदर्य सम्पदा (फसल , रंग बिरंगे फूल , हरे भरे पेड़ पौधे , प्रकृति की अकूत सम्पदा है ) से बेहद खुश हैं।

इस हरे-भरे गांव की हरियाली को देख कर कवि को ऐसा लग रहा हैं मानो पन्नों (हरे रंग का रत्न)  से भरा कोई डिब्बा खुल गया हो , जिसको नीलम की सी आभा देने वाले नीले रंग का आकाश ढके हुए हो।  यानि पन्नों से भरे उस डिब्बे को नीले आसमान ने ढक रखा हो।


4.अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?

उत्तर-

अरहर (एक प्रकार की दाल) और सनई (एक रेशेदार पौधा , जो रस्सी बनाने के काम आता हैं) के पौधों में खिले पीले फूल व कलियों को देखकर ऐसा लग रहा हैं मानो जैसे प्रकृति ने सोने की करधनी (कमर में बांधने का आभूषण) बांध रखी हो जो हवा से हिल कर मधुर आवाज में बज रही हैं।


5.भाव स्पष्ट कीजिए-

  1. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती।

  2. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए।

उत्तर-

  1. गंगा-तट की रेत बल-खाते साँप की तरह लहरदार है और वह विविध रंगों वाली है।

  2. हरियाली धूप के प्रकाश में जगमगाती हुई हँसमुख-सी लग रही है। सर्दी की धूप भी स्थिर और शांत है। उन्हें देखकर यों लगता है मानो दोनों अलसाकर एक-दूसरे के संग सो गए हों।

 

6.निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक

उत्तर-

  1. हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

  2. ‘हरे-हरे’ ‘हिल-हरित’ में अनुप्रास अलंकार है।

  3. ‘हरित रुधिर’-रुधिर का रंग हरा बताने के कारण विरोधाभास अलंकार है।

  4. ‘तिनकों के हरे-भरे तन पर’ में रूपक एवं मानवीकरण अलंकार है।


7.इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?

उत्तर-
इस कविता में गंगा के तट पर बसे गाँव का चित्रण हुआ है।


8.भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर-

‘ग्राम श्री’ कविता में उस ग्रामीण सौंदर्य का चित्रण है जो लोगों के मन को अनायास अपनी ओर खींच लेता है। गाँव हरियाली से भरपूर है। यह खेतों में लहराती फ़सलें हैं जिन पर रंग-बिरंगे फूल खिले हैं तो दूसरी ओर फलों से लदे पेड़ भी हैं जिन पर पके फलं मुँह में पानी ला देते हैं।कविता कि भाषा इतनी सरल और बोधगम्य है कि सारा का सारा दृश्य आखो के सामने होता हुआ प्रतीत होता है।  कविता में गंगा के किनारे पक्षियों का आना उनका वह क्रीड़ा करना , ताबुज के खेत इत्यादि का वर्णन बड़े ही सुन्दर दंग से किया गया है।  


9.आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।

उत्तर-
मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। हमारा गाँव उस क्षेत्र में है जो यमुना नदी से मात्र एक-डेढ़ किलोमीटर ही दूर है। इस क्षेत्र में सरदी और गरमी दोनों ही खूब पड़ती हैं। मुझे गरमी का मौसम पसंद है। गरमी में यमुना के दोनों किनारों पर सब्जियों की खेती की जाती है जिससे हरियाली बढ़ जाती है। इन खेतों में जाकर खीरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज आदि तोड़कर खाने का अपना अलग ही आनंद होता है। दोस्तों के साथ यमुना के उथले पानी में नहाने, रेत पर उछलने-कूदने और लोटने का मज़ा अलग ही है। इस ऋतु में सुबह-शाम जल क्रीड़ा करते हुए पक्षियों को निहारना सुखद लगता है। आम, फालसा, लीची आदि फल इसी समय खाने को मिलते हैं। यहाँ की हरियाली आँखों को बहुत अच्छी लगती है।