Welcome to our comprehensive guide on Class 9 Hindi Sparsh's Chapter 14 "अग्नि पथ". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!
प्रश्न 1 कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतींक स्वरूप प्रयोग किया है ?
उत्तर-
कवि हरिवंशराय बच्चन जी ने "अग्निपथ" को जीवन के पूर्ण चुनौतियों भरे रास्ते के लिए प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है । कवि हरिवंशराय बच्चन जी का मानना है कि मनुष्य के जीवन के रास्ते में पग-पग में संकट , चुनौतियां और कष्ट हैं । और हमारी जीवन संघर्षों से परिपूर्ण है ।
प्रश्न 2 ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों को बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहते है ?
उत्तर-
उपरोक्त शब्दों का बार-बार प्रयोग करके कवि का कहना है कि मनुष्य के जीवन में हर कदम में कष्ट चुनौती संघर्ष होती है । लेकिन मनुष्य को कष्ट चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरणा देते हुए कभी कहते हैं कि आज तुम शपथ लो की चाहे तुम्हारा शरीर खून से लथपथ हो जाए मगर तुम किसी के सामने हाथ मत फैलाना । बल्कि वह कष्ट और चुनौती का डटकर सामना करना ।
प्रश्न 3 “एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ इस पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि द्वारा इस पंक्ति से आशय है कि- मनुष्य के जीवन में बहुत कष्ट और संघर्ष । मनुष्य को अपने जीवन के रास्ते में खुद चलना चाहिए । और अपनी जीवन के परिस्थिति में घबराकर दूसरे मनुष्य से सहायता नहीं मांगनी चाहिए । कवि का कहना है कि मनुष्य को अपने जीवन में कठिनाइयों को देखकर पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि हिम्मत से कठिनाइयों का सामना करना चाहिए ।
प्रश्न 4 "तू न थमेगा कभी तू न मुड़ेगा कभी" भाव स्पष्ट कीजिए −
उत्तर-
कवि इन पंक्तियों द्वारा कहते हैं कि - मनुष्य के जीवन के रास्ते में बहुत सारी कठिनाईयों हैं लेकिन मनुष्य को इन कठिनाईयों से लड़कर हमेशा आगे बढ़ना चाहिए । ना कि उससे हार कर बीच में कहीं रुकना चाहिए और भागना चाहिए ।
प्रश्न 5 "चल रहा मनुष्य है अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ" भाव स्पष्ट कीजिए −
उत्तर-
उपरोक्त पंक्ति में कवि मनुष्य को अपने जीवन में आगे बढ़ने और अपने लक्ष्य को हासिल करने की प्रेरणा देता है । वे कहते हैं कि मानव जीवन में बहुत सारी कठिनाई और संघर्ष है । लेकिन मनुष्य को अपने लक्ष्य की तरफ हमेशा बढ़ते रहना चाहिए । एक वक्त मनुष्य के जीवन में ऐसा समय आएगा कि मनुष्य हार मानने के कगार पर होगा परंतु , हमें कठिनाई से डरकर पीछे भागना नहीं चाहिए । बल्कि साहस और समझदारी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए ।
प्रश्न 6 इस कविता को मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित यह कविता का मूलभाव यह है कि , जीवन में बहुत सारे संघर्ष और कठिनाई है । हमें इन कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए । हमारे जीवन में कदम-कदम पर कष्ट ,संघर्ष और चुनौती होती हैं । हमें बिना घबराए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए । मनुष्य परिस्थिति के अनुसार खुद को नाकारा समझकर दूसरों के सामने हाथ फैलाने लगते हैं । परंतु कवि कहते हैं की हमें खून पसीना बाकर खुद से मेहनत करके जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए और कष्ट और कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करना चाहिए और अपना लक्ष्य हासिल करना चाहिए ।
प्रश्न 7 कवि ‘एक पत्र छाँह’ भी माँगने से मना करता है, ऐसा क्यों?
उत्तर-
मनुष्य के जीवन रास्ता में बहुत सारे कष्ट पर संघर्ष आते हैं । और संघर्ष से ही मनुष्य को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है । जब कोई व्यक्ति कष्ट करके कमाता है और अपने घर का पालन पोषण करता है । तो वह दो वक्त का रोटी मेहनत करके शांति से खाता है । परंतु जब वहीं व्यक्ति किसी के सामने हाथ फैला कर मांग कर कुछ कम आता है तो , उस व्यक्ति को इसके बाद परिश्रम करने का मन नहीं करता और उसका ध्यान परिश्रम और संघर्ष के मार्ग से हट जाता है । वैसे व्यक्ति आगे जाकर बिना कोई संघर्ष का सुखो का आदी बन जाता है । इसलिए कवि ने एक पत्र छाँह की मांग करने के लिए मना करता है ।
प्रश्न 8 कवि किस दृश्य को महान बता रहा है, और क्यों?
उत्तर-
मानव जीवन में बहुत सी छोटी-बड़ी परेशानियां और कठिनाइयां हैं । वह परेशानी और कठिनाई , परिश्रमी और संघर्षिय व्यक्ति को अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने से रोकता है । परंतु वह व्यक्ति कठिन परिश्रम और संघर्ष करके आँसू, पसीने और रक्त से तरे हो करके बिना हार माने , वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाता है । कवि को यह दृश्य बहुत ही आकर्षक और महान लगता है ।
प्रश्न 9 कवि मनुष्य से किस बात की शपथ लेने को कह रहा है?
उत्तर-
कवि का कहना है कि हमारे जीवन के रास्ते में बहुत सारे संघर्ष, कष्ट और दुख है । मनुष्य अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए इन रास्तों में कड़ी परिश्रम करते हैं । परंतु वह संघर्षों से थक कर और निराश होकर वह परिश्रम करना छोड़ देते हैं । कवि यह सब देखते हुए लोगों से शपथ लेने कहते हैं कि हमें ना कभी कठिनाइयों से थकेंगे , ना कभी रुकेगा और ना कभी निराश होकर वापस लौटेंगे ।
प्रश्न 10 ‘अग्नि पथ’ कविता को आप अपने जीवन के लिए कितनी उपयोगी मानते हैं?
उत्तर-
"अग्नीपथ" कविता मेरे जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक एवं उपयोगी है । क्योंकि इस कविता के द्वारा हमें कठिन से कठिन परिस्थिति में घबराए बिना , उस परिस्थिति से संघर्ष करने का प्रेरणा मिलता है । इस कविता से हमें या सीखने को मिलता है कि जीवन के रास्ते पर चलते हुए ना कभी थकने , ना कभी निराश होकर ना रुकने और अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ने की सीख मिलती है । जो कि हमारी सफलता के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है ।
प्रश्न 11 कवि मनुष्य से क्या अपेक्षा करता है? ‘अग्नि पथ’ कविता के आधार पर लिखिए ।
उत्तर-
"अग्नीपथ" कविता के द्वारा कवि मनुष्य से यह अपेक्षा करता है कि - मनुष्य अपने लक्ष्य को पानी के लिए आखरी दम तक प्रयास करें और जब तक उसको उसका का लक्ष्य ना मिले तब तक वहां लक्ष्य पाए बिना ना रुके । साथ ही कवि यह भी कहता है कि, हमें लक्ष्य पाने के लिए ना थकना है और ना ही रुकना है । हमें कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा करना है।
प्रश्न 12 ‘अग्नि पथ’ का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
व्यक्ति के जीवन के रास्ते पर बहुत सारी बाधाएं आती है । और उस व्यक्ति को उसका सामना करना पड़ता है । उस व्यक्ति और उसके लक्ष के बीच में बहुत सारे कठिनाई आती है जिसका उसको साहस पूर्वक सामना करना पड़ता है और अपनी मंजिल और पाना पड़ता है । संघर्ष का इस जाल में वह व्यक्ति खो जाता है । इसलिए इससे जीवन का अग्निपथ कहा गया है ।