Welcome to Chapter 2, "अभिनिष्क्रमण " Question and Answer Guide for class 8. Our concise, expert-curated solutions align with the NCERT curriculum, enhancing comprehension and exam performance.

प्रश्न 1 – सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा किस प्रकार मिली ?


उत्तर:-

निर्वाह के विषय में सिद्धार्थ को पहली प्रेरणा तब आया , जब एक भिखारी को भिछा करते देखा । वहां इतने सारे व्यक्ति होने के बावजूद सिद्धार्थ ने उस भिखारी के समीप जाकर उससे पूछा कि आप कौन हैं और यह आप की क्या दशा ? भिखारी ने रोते हुए कहा कि मैं जन्म मृत्यु से डरा हुआ एक सन्यासी हूं । मैं मोक्ष की प्राप्ति के लिए खोज में निकला हूं । मंदिर वृक्ष के नीचे और झोपड़पट्टी में रहकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान को दिन-रात बुलाता रहता हूं । मेरे जीवन में घर द्वार परिवार धन दौलत भाई बंधु कोई मतलब नहीं रखता मुझे केवल मोक्ष की प्राप्ति चाहिए । भिखारी की यह बात सुनकर राजकुमार सिद्धार्थ को बहुत ही प्रसन्न हुआ उसने सोचा कि मुझे भी सब कुछ छोड़ कर ज्ञान प्राप्ति करनी चाहिए और दूसरों के सुख-दुख के बारे में सोचना चाहिए । 

प्रश्न 2 – राजकुमार ने तपोवन न जाने के लिए राजा के समक्ष क्या–क्या शर्तें रखीं ?


उत्तर :-

राजकुमार ने निर्णय लिया की वह तपोवन जाएगा । परंतु राजा नहीं चाहते थे कि वह तपोवन जाए । वह चाहते थे कि राजकुमार , राजमहल में रहे । राजा ने राजकुमार के सामने तरह-तरह के तर्क देकर समझाया- आप राजकुमार है , और आपको तपोवन जाने की कोई जरूरत नहीं है । परंतु राजकुमार ने राजा के सारे तर्क को निरस्त कर दिया । अंत में राजकुमार ने राजा से कहा कि यदि आप मेरे चार शर्तें मानेंगे तो , मैं तपोवन कभी नहीं जाऊंगा । राजकुमार का पहला शर्त यह था कि - वह कभी बुढ़ाना हो , का दूसरा शर्त यह था कि- उनको कभी कोई रोग ना हो । वह सदा रोग मुक्त रहे , उनका तीसरा शर्त दिया था कि- उनकी कभी मृत्यु ना हो तथा उनका चौथा शर्तें यह था कि मेरी संपत्‍त‍ि सदा बनी रहे । 

प्रश्न 3 – छंदक कौन था ? सिद्धार्थ ने उसे नींद से क्यों जगाया ?


उत्तर :-

छंदक एक अश्‍व रक्षक था । राजकुमार सिद्धार्थ ने उसे नींद से जगाते हुए कहा कि - हे छंदक! तुम उठो और शीघ्र कंथक नाम के घोड़े को ले आओ । मैं अपने मोक्ष प्राप्ति के लिए वन के तरफ जाना चाहता हूं । आज मेरा ह्रदय बहुत प्रसन्न है । मेरा मन कह रहा है कि मेरा लक्ष्य मेरे बहुत ही करीब है । छंदक ने राजा को वचन दिया था कि- वह राजकुमार की रक्षा करेंगे और उन्हें महल से बाहर ले कर के नहीं जाएंगे । परंतु छंदक ने राजकुमार की ओर देखा और चुपचाप राजकुमार की आज्ञा का पालन किया । वह धीरे से अश्वशाला में गया और वहां से कंथक अश्‍व को लेकर आया ।

प्रश्न 4 – सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।


उत्तर:-

राजकुमार सिद्धार्थ अलग होने पर छंदक और कंथक के बहुत ही दयनीय हो गई । वह दोनों बहुत ही दुखी थे । उन दोनों के आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे । उन दोनों का मन बहुत व्याकुल था । राजकुमार सिद्धार्थ के साथ जिस मार्ग को तय करने में केवल एक रात का वक्त लगा था । वही मार्ग को उन दोनों ने चलने के लिए 8 दिन लगाया । अपने स्वामी से बिछड़ कर घोड़े ने ना ही कुछ खाए और ना ही कुछ भी है ।

प्रश्न 5 – तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों को क्या करने के लिए कहा ?


उत्तर :-

राजकुमार सिद्धार्थ ने तपोवन में तपस्वियों से कहां की - "हे तपस्वियों ! आपके साथ रहकर मैंने बहुत कुछ सीखा । और आप सब ने मुझे अपने पुत्र जैसा व्यवहार किया । मुझे इतना स्नेह और आदर देने के लिए मैं सदा आपका आभारी रहूंगा । मैं आपको और इस वन को छोड़कर जा रहा हूं । क्योंकि आपका मार्ग धर्म को लेकर के स्वर्ग के लिए है । और मेरा अभिलाषा मोक्ष है। इसलिए मैं इस तपोवन को छोड़कर जा रहा हूं । मुझे आपको और इस तपोवन को छोड़ने पर उतना ही दुख होगा , जितना कि दो सच्चे मित्र , तो गुरु शिष्य एक दूसरे से अलग होते हैं । स्वामी मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि आपको अपना लक्ष्य जल्द प्राप्त हो।"

प्रश्न 6 – वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने क्या कहा ?


उत्तर:

राजकुमार सिद्धार्थ को राजमंत्री ने वन से लौटने के संबंध में समझाते हुए कहते हैं कि-आपके जैसे बहुत सारे राजा वन में गए थे । पर वह वन से घर लौट आए । राजमंत्री ने तर्क देते हुए राजा राम और शाल्‍व देश के राजा द्रुम के बारे में बताया । राजकुमार सिद्धार्थ यह सब तर्क सुनने के बाद उन्होंने कहा कि-आपके इन बातों पर मेरा कोई असर नहीं होने वाला । मुझे तपस्या और शांति के लिए तपोवन जाना जरूरी है । क्योंकि मेरा मोक्ष वही प्राप्त होने वाला है । और जब तक मेरा मोक्ष मुझे प्राप्त नहीं होता तब तक मैं घर वापस नहीं आऊंगा । चाहे सूर्य , पृथ्वी , ग्रा गिर क्यों ना जाए , हिमालय और धरती भट्ट क्यों ना जाए , घर वापस नहीं आऊंगा । मैं जलती हुई चिता में कूदना पसंद करूंगा लेकिन अफसर फल होकर घर वापस आना नहीं ।

प्रश्न 7 – बिंबसार ने सिद्धार्थ की सहायता के लिए क्या प्रस्ताव रखा ?


उत्तर :-

बिंबसार ने सिद्धार्थ से कहा कि-यदि आप अपने पिता के राज मैं राजा बनना नहीं चाहते हैं तो , आप मेरा आधा राज ले लीजिए । और उनके ऊपर राज कीजिए । आप मेरा मित्र बन जाइए । उन्होंने यह भी कहा कि यदि आपको अपने शत्रुओं से बदला लेना है तो , आप मेरे सेना के साथ युद्ध पर जाइए और शत्रु को हराकर अपनी शक्ति स्थिर कीजिए । और प्रजा के ऊपर धर्म , अर्थ ,काम और उनके भावनाओं पर खरे उतर कर उनकी सेवा कीजिए । आप यह प्रजा का सेवा करके आपका जीवन सफल हो जाएगा ।