Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Bhag 2 Chapter-3 मैं हूँ रोबोट This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

1. रोबॉट शरीर में किस चीज का जाल बिछा हुआ है।

उत्तर:

रोबॉट शरीर में तारों और यंत्रो का जाल बिछा हुआ है।

2. लेखक ने “मैं हूँ रोबॉट” में किस घटना का उदहारण दिया है।

उत्तर:

लेखक ने यहां एक “ कनिष्क “ नामक जहाज़ का उदाहरण दिया है।

3. रोबॉट किस चीज का अनुभव नहीं कर पाता है ।

 उत्तर:

रोबॉट गंध का अनुभव नहीं कर पाता है।

4. रोबॉट किस चीज का बना होता है?

उत्तर:

रोबॉट का शरीर हाड़-माँस से नहीं, बल्कि लोहा और इस्पात व प्लास्टिक से बना होता है।

5. रोबॉट तुम्हारे किस अंग की उपज है?

उत्तर:

रोबॉट हमारे दिमाग की उपज है।

6. एक रोबॉट क्या- क्या कर सकता है?

उत्तर:

एक रोबॉट चल सकता है। उछल सकता है तथा कूद भी सकता है। वह हमारी ही तरह अपने हाथों और अँगुलियों से मशीनों को फिट कर सकता है। बोझ उठा सकता है और भी बहुत से कार्य कर सकता है।

7.रोबॉट अपने आप को क्या कहता है?

उत्तर:

रोबोट अपने बिषय में बतात की आम लोग उसे ‘रोबॉट कहते है। लेकिन वह खुद को एक यंत्र मानव’ मानता है।

8. रोबॉट अपने मस्तिष्क के बारे में क्या बताता है?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि आप सोचते होंगे कि मैं निर्जीव पुतला हूँ मेरे पास दिमाग नहीं है लेकिन आप की सोच गलत है मेरे पास भी दिमाग है जो की एक कंप्यूटर है। मैं उसी के आधार पर अपने सारे काम करता हूँ।

9. रोबॉट अपने कान के बारे में क्या बताता है?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि मेरे कान आपके कानों से बिल्कुल अलग है। मेरे शरीर में लगा माइक्रोफोन ही सुनने का कार्य करता है और मैं उसी के आधार पर सुनता हूँ।

10. रोबॉट अपने ऊपर पड़ने वाले वातावरण के प्रभाव के विषय में क्या कहता है?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि मुझ पर किसी भी तरह के पर्यावरण का असर नहीं पढ़ता है । काम करते समय चाहे बर्फीली ठंडी हो या पसीना लाने वाली अत्यधिक गर्मी दोनों जगह पर मै एक समान गति से कार्य कर सकता हूँ।

11. लेखक रोबॉट में कौन सी विशेषता देखते हैं?

उत्तर:

लेखक के अनुसर रोबॉट कहता है कि मेरा शरीर हाड़- माँस का नहीं, बल्कि लोहा- इस्पात और प्लास्टिक से बना है। मेरी भी टाँग, भुजा और अँगुलियाँ हैं। लेकिन मेरे ये सभी अंग धातुओं से निर्मित हैं। निर्जीव होते हुए भी मेरे सब अंग तुम्हारी ही भांति कार्य कर सकते हैं। मैं चल सकता हूँ, उछल सकता हूँ और कूद भी सकता हूँ। तुम्हारी तरह अपने हाथों और अँगुलियों से मैं मशीन के पुर्जे भी फिट कर सकता हूँ, बोझ उठा सकता हूँ और न जाने कितने ही कार्य कर सकता हूँ।

12. रोबॉट अपने बिषय कौन सी हैरान करने वाली बातें बताता है?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि मुझे देखकर आप अचंभित होंगे कि मेरा रूप, रंग, आकार और शरीर आप से नहीं मिलता-जुलता, फिर भी मैं आप की तरह बहुत से काम कर सकता हूँ और वो भी कर सकता हूँ जो आप नहीं कर सकते हो।

13. रोबॉट अपने काम के विषय में क्या बताता है ?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि अब मैं आप को अपने उन कार्यों के विषय में बताता हूँ जो कोई भी हाड़-माँस से बना व्यक्ति नहीं कर सकता है लेकिन मैं कर सकता हूँ। मैं सुलगती हुई भट्ठी में से हाथ डालकर लोहे की तपती हुई लाल सलाखों को अपने हाथ से पकड़ सकता हूँ। ऐसा करने पर मेरा हाथ भी नहीं जलता। यदि किसी भवन में आग लग जाए तो मैं बिना डरे और घबराए आग बुझाने के लिए उस भवन के अन्दर जा सकता हूँ। वहाँ फंसे लोगों की जान बचा सकता हूँ।

14. रोबॉट अपने किस बहादुरी के बारे में हम लोगों को बताता है ?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि कुछ सालों पहले आप ने मेरी एक बहादुरी की कहानी भी पढ़ी होगी। जब ‘कनिष्क’ विमान क्षतिग्रस्त होकर सागर में डूब गया था, तो वह मैं ही था, जोहाथ उसके मलवे को समुद्र की तलहटी से बाहर निकाल कर लाया था।

15.मनुष्य से पहले रोबॉट कहा पहुँच चूका था?

उत्तर:

रोबॉट कहता है कि मनुष्य अपनी बुद्धि के दम पर चंद्रमा की सतह तक जा पहुंचा है। मैं उससे पहले ही चंद्रमा की सतह पर जाकर वहाँ की मिट्टी खोद कर लाया था। चंद्रमा तो चंद्रमा, मैं तो मंगल ग्रह पर भी जा चुका हूँ। वाइकिंग प्रोब में, जो मंगल ग्रह के विषय में अध्ययन के लिए अमेरिका के द्वारा भेजा गया था. उसके भीतर मैं ही था। मैंने ही मंगल ग्रह पर जाकर वहाँ की लाल मिट्टी को लिया था और उसकी जांच करके पता लगाया गया था कि मंगल ग्रह पर कोई भी जीवन की संभावना नहीं है।

16. “ रहूँगा तो तुम्हारा गुलाम ही”

इस वाक्य के लेखक और शीर्षक का उल्लेख करते हुए इसका अर्थ समझायें।

उत्तर:

यह वाक्य मैं हूँ रोबॉट नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक “राजीव गर्ग “जी है। लेखक राजीव गर्ग जी कहते है कि रोबॉट हमसे अधिक शक्तिशाली है। यह हर एक कार्य में हमसे बहुत निपूर्ण है। यह वह भी काम कर सकता है जो काम हम करने से डरते है या फिर जिससे हमारी जान भी जा सकती है। यह सुलगती हुई भट्टी में अपना हाथ डालकर लोहे की तपती हुई लाल सलाखों को अपने हाथ से पकड़ सकता है ऐसा करने पर इसके हाथ को कोई नुकसान नहीं होता। यदि किसी भवन में आग लग जाए तो यह बिना डरे और घबराए आग बुझाने के लिए उस भवन के अन्दर जा सकता है। वहाँ फँसे हुए लोगों की जान बचा सकता है । इसको कितने ही गहरे समुद्र में डुबा दो. उसकी तलहटी पर पहुँच कर तुम्हारी किसी खोई हुई वस्तु को भी खोज कर ला सकता है। आखिर में, में एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि रोबॉट चाहे कितना ही चतुर और दक्ष क्यों न हो जाए रहेगा तो तुम्हारा गुलाम ही क्योंकि वह तुम्हारे ही दिमाग की उपज है।

17. उन कार्यों को लिखिए जो कार्य एक रोबॉट आँखों और हाथों के बिना नहीं कर सकता?

उत्तर:

जो कार्य एक रोबॉट आँखों और हाथों के बिना नहीं कर सकता वो कार्य निम्नलिखित हैं

रोबॉट कुछ भी देख नहीं सकेगा। 

(ख) रोबॉट आस-पास की वस्तुओं को जान और समझ नहीं पायेगा ।

 (ग) रोबॉट हमारी बताई हुई वस्तुएं लाकर नहीं दे पायेगा ।

 (घ) रोबॉट घर की सफाई सफलतापूर्वक नहीं कर पायेगा ।

 (ड) रोबॉट हमारी आज्ञाओं का पालन सही ढंग से नहीं कर पायेगा ।

18. उन कार्यों को लिखिए जो कार्य एक मनुष्य कर सकता है लेकिन रोबॉट नहीं कर सकता है?

उत्तर:

जो कार्य एक मनुष्य कर सकता है लेकिन रोबॉट नहीं कर सकता है, वो निम्नलिखित हैं-

रोबॉट मनुष्यों कि तरह सुख और दुख को महसूस नहीं कर सकता है।

 (ख) मनुष्य की तरह रोबॉट में सुंघने कि शक्ति नहीं होती है।

 (ग) मनुष्य की तरह रोबॉट किसी वस्तु को छू नहीं सकता है। 

(घ) मनुष्य की तरह रोबॉट किसी वस्तु को नहीं बना सकता है। 

(ड) मनुष्य की तरह रोबॉट अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता।

19. मनुष्य और रोबॉट के बनावट में क्या अंतर हैं।

उत्तर:



20. लेकिन मेरे शरीर में तारों... विदयुत धारा बहती है। इस वाक्य के लेखक और शीर्षक का उल्लेख करते हुए इसका अर्थ समझायें।

उत्तर:

यह वाक्य “मैं हूँ रोबॉट” नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक “राजीव गर्ग “ जी है। लेखक राजीव गर्ग रोबॉट के आंतरिक बनावट के विषय में बताते हुए कहते हैं कि तुम्हारे शरीर में शिराओं और धमनियों का जाल बिछा हुआ है। उनमें खुन का प्रवाह होता रहता है। इसी प्रक्रिया से तुम्हें शक्ति मिलती है। लेकिन मेरे शरीर में तारों का जाल बिछा हुआ है और इन तारों में खून की जगह बिजली की धारा बहती है। यही बिजली की धारा मुझे कार्य करने की शक्ति देती है।