Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Bhag 2 Chapter-11 Pongal. This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.
1. भारत कैसा देश है.?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है।
2. माट्टू पोंगल कब मनाया जाता है.?
उत्तर:
माट्टू पोंगल “पोंगल” के तीसरे दिन मनाया जाता है।
3. पोंगल कहाँ का प्रमुख त्यौहार है ?
उत्तर:
पोंगल तमिलनाडु में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। यह जनवरी के महीने में मनाया जाता है।
4. पोंगल क्या है ?
उत्तर:
पोंगल एक कृषि पर्व है, जो नई फ़सल के आगमन के समय मनाया जाता है। यह संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
5. भारत मे किसका जीवन प्रकृति से जुड़ा होता है ?
उत्तर:
भारतीय किसानों का जन-जीवन प्रकृति से जुड़ा होता है।
6. माडु क्या है.?
उत्तर:
तमिल भाषा में गाय-भैंसों को माडु कहते हैं। “माडु’ का अर्थ “धन” भी होता है। पुराने समय मे गाय, बैल- भैंस ही हमारी धन-संपत्ति थे।
7. पंजाब में पोंगल किस रूप में मनाया जाता है.?
उत्तर:
पंजाब में संक्रांति से एक दिन पहले “लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। “लोहड़ी” का अर्थ है-छोटी संक्रांति।
8. पोंगल कितने दिनों तक मनाया जाता है.?
उत्तर:
पोंगल चार दिनों तक मनाया जाता है। पहला दिन भोग, दूसरे दिन पोंगल, तीसरे दिन माट्टू पोंगल और चौथे दिन कानुम पोंगल ।
9. विविधता में एकता भारत की विशेषता है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
विविधता में एकता भारत की विशेषता है। एक ही त्यौहार को देश के विभिन्न भागों में अलग अलग तरह से मनाकर लोग भारतीय एकता को मजबूत बनाते हैं।
10. भारत कृषि प्रधान देश क्यों है ?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है।
11. भारतीय किसान कैसे होते हैं?
उत्तर:
भारतीय किसानों का जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ होता है। वे प्रकृति के साथ हँसते-रोते, नाचते-गाते हैं। बुआई, सिंचाई, निराई आदि खेती-बाड़ी के सारे काम वे मौसम के अनुसार करते हैं। अतः भारतीय किसानों का जीवन लगभग पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ा होता है।
12. “भोगी” क्या है.?
उत्तर:
पोंगल के पहले दिन लोग “भोगी” का त्यौहार मनाते हैं। पूरे घर की सफाई की जाती है, जिससे पर्यावरण स्वच्छ हो जाता है। भोगी के दिन शाम को छोटे बच्चे ढोल और बाजे बजा कर जश्न मनाते हैं।
13. माट्टू पोंगल कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर:
माट्टू पोंगल के दिन गाय-बैलों को अच्छी तरह से नहलाया- धोया जाता है। लोग उनके सींगों को रंगते हैं और उन्हें रंगीन कपड़ों से सजाते हैं। लोग उनके ग़लों में फूल-मालाएँ पहनाते हैं। उन्हें गुड़ तथा अन्य अच्छी अच्छी चीज़े खाने के लिए देते हैं। शाम को मैदान में उन बैलों की दौड़ होती है।
14. “कानुम पोंगल कब और कैसे मनाया जाता है.?
उत्तर:
“कानुम पोंगल” पोंगल के चौथे दिन मनाया जाता है। इस दिन पूरा परिवार खाना साथ बांधकर बाहर निकल पड़ता है। इस दौरान जगह जगह मेलें लगते हैं। लोग मेला घूमने आते हैं। पूरा दिन उल्लास से भरा होता है।
15.क्या पोंगल पूरे भारत में मनाया जाता है? गुजरात और बंगाल के लोग इस त्यौहार को किस रूप में मनाते हैं?
उत्तरः
खेती से संबंधित यह त्यौहार पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। गुजरात से लेकर बंगाल तक लोग इसे संक्राति के नाम से मनाते हैं। संक्रांति के दिन उत्तर भारत मे स्नान करने का महत्व है। गंगा, यमुना, नर्मदा, क्षिप्रा आदि नदियों में लोग स्नान करते हैं। इस दिन लोग चावल और मूंग की दाल की बनी खिचड़ी खाते-खिलाते हैं।
16. भारत में त्यौहारों का जन्म कैसे होता है.
उत्तर:
भारतीय किसानों का जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ होता है। वे प्रकृति के साथ ही हँसते- रोते, नाचते-गाते हैं। बुआई, सिंचाई, निराई आदि खेती-बाड़ी के सारे काम वे मौसम के अनुसार करते हैं। जब चारों तरफ हरियाली छा जाती है, तब वृक्षों की लतायें फूलों से लद जाती हैं, जिसे देखकर किसान गुनगुनाते हैं। जब खेत-खलिहान फसलों से लहलहाने लगते हैं, तब उनके पैर थिरकने लगते हैं। वो उत्सव मनाने के लिए मचल उठते हैं। और इस प्रकार त्यौहारों का जन्म होता है।
17. पोंगल को परिभाषित करिये।
उत्तर:
पोंगल एक त्यौहार है, जिसे तमिलनाडु में जनवरी महीने में मनाया जाता है। पोंगल के दिन खेतो से सुनहरे रंग का नया धान कटकर किसानो के घर आता है। इस समय खेतो में गन्ने की फसल तैयार होती है और घरों के बगीचों में हल्दी के पौधें लहलहा उठते हैं। इन्हें देख कर किसानों का मन खुशी से भर जाता है। पोंगल के दिन नए चावल का मीठा भात बनाकर सूर्य को चढ़ाया जाता है। इसी मीठे भात को पोंगल कहते हैं।
18. पोंगल कैसे मनाया जाता है.?
उत्तर:
पोंगल के दिन घरों-आंगन को रंगोली से सजाया जाता है। नहा-धो कर सब लोग नये- नये कपड़े पहनते हैं। आंगन में अँगीठी जला कर बर्तन में पोंगल पकाया जाता है। बर्तन में हल्दी के पौधों को बांधा जाता है। गन्ने के रस में नई फसल वाले चावल को पकाया जाता है। जब चावल में उबाल उठता है तो उसमें दूध डाला जाता है। दूध के साथ उफनता हुआ पोंगल बर्तन के ऊपर से उमड़ता है और चारों ओर रिसकर आंच में टपक पड़ता है। उस समय लोग चारों ओर इकट्ठा होकर खुशी से नाचते हैं और जोश में “पोंगल” “पोंगल “ चिल्लाते हैं।
19. पंजाब में पोंगल किस रूप में और कैसे मनाया जाता है?
उत्तर:
पंजाब में पोंगल संक्रांति से एक दिन पहले “लोहड़ी” त्यौहार के रूप में मनाते हैं। लोहड़ी का अर्थ है- छोटी संक्रांति। लोग अपने घरों के बाहर लकड़ियां जमा करते हैं। शाम के समय स्त्री-पुरुष, बच्चे सभी वहां इकट्ठे होते हैं और लोहड़ी जलाते हैं। नई फसल वाली मक्का को आग में डाल कर पकाया जाता है। लोग इस मक्के की फूली (खील) और तिल की रेवडियां बाटते हैं। सभी आपस मे प्रेम से गले मिलते हैं और साथ नाचते-गाते हैं।
20. चार दिनों तक मनाये जाने वाले पोंगल के पर्व का वर्णन करें।
उत्तर:
पहले दिन को “भोगी पोंगल” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घरों की सफाई की जाती है। शाम के समय सभी बच्चे खुशी से ड्रम बजाते हैं। दूसरा दिन “पोंगल” का होता है। महिलाएं सुबह जल्दी उठ जाती हैं और घर के बाहर रंगोली बनाती हैं। सभी नहाते हैं और नये कपड़े पहनते हैं। घर के आंगन में एक नए गमले में पहली फसल के चावल और गन्ने के रस को मिलाकर पोंगल बनाया जाता है। इसे चूल्हे से बाहर गिरने तक पकाया जाता है। फिर इस प्रसाद को रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ मिलकर खाया जाता है।।
तीसरे दिन को “मट्टू पोंगल “ के नाम से जाना जाता है। इस दिन सुबह उठकर अपने गाय- “ बैलों को नहलाकर सजाया जाता है। उनकी पूजा की जाती है और लोग उन्हें खाने के लिए पौष्टिक चीज़े देते हैं।
चौथे दिन को “कानुम पोंगल “ के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरा परिवार मेलों में जाता है। और लोग सपरिवार मेलों का आनंद लेते हैं।