Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Chapter-7 पापा खो गए This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों?

प्रस्तुत पाठ के पात्र हैं- बिजली का खंबा, पेड़, लैटरबॉक्स, कौआ, नाचनेवाली लड़की और आदमी परंतु मुझे सबसे समझदार कौआ लगा क्योंकि उसने अपनी सूझ-बुझ से एक बच्ची की जान बचाई।


पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई?

शुरू-शुरू में रोड पर बस एक पेड़ था। समय के साथ हुये विकास में वह पर एक खंबा लगा दिया गया। पेड़ अपना अकेलापन दूर कने के लिए खंबे से दोस्ती करना चाहता था परंतु खंबा अपने ही अकड़ में रहता। एक दिन आई तेज आंधी से खंभा पेड़ पर गिर गया जिससे पेड़ घायल हो गया लेकिन उसने खंभे को बचा लिया। उस दिन, खंभे का गर्व टूट गया और दोनों के बीच दोस्ती हुई थी।

लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?

लैटरबॉक्स का रंग ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा लाल था। उसमें कुछ रंग काला भी था परंतु लाल रंग के आगे वह ढक जाता था। उसकी बातचीत भी बड़ों की तरह थी। इन्हीं कारणों से सभी उसे लाल ताऊ कह कर बुलाया करते थे।

लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न है?

लैटरबॉक्स अन्य सभी पत्रों में सबसे ज्यादा शिक्षित और समझदार था। जब भी वह अकेले रहता, तो वह भजन गाता, दोहे व पत्र पढ़ता। ऐसे तो लैटरबॉक्स एक निर्जीव था परंतु उसको सजीव समाज की हमेशा चिंता लगी रहती थी। इन्हीं सभी गुणों के कारण लाल ताऊ बाकी पात्रों से अलग थे। 

नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मज़ेदार लगीं? लिखिए।

लड़की को बचाने वाले जीवित पात्रों में, कौआ की निम्नलिखित बातें मजेदार थीं -

१)कौवा बहुत ही होशियार व बुद्धिमान था। जब वह दुष्ट आदमी को लड़की के पास आता देखता है तो भूत- भूत चिल्लाने लगा। कौआ की यह आवाज सुनकर वह आदमी भाग जाता है। इस प्रकार कौआ ने बच्ची की जान बचा ली। 


२)लेटरबक्स, खंबा और पेड़ के साथ, कौआ भी लड़की को उसके पिता से मिलाने की योजना बनाता है। पुलिस के न आने पर कौआ ही लैटरबक्स को बड़े-बड़े अक्षरों में ‘पापा खो गए’ लिखने तथा सबको यह कहने कि किसी को इस बच्ची के पापा मिले तो यहाँ आने की सलाह देता है।

क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?

लड़की बहुत छोटी थी और उसे अपने घर जाने का रास्ता भी नहीं पता था। इसके अतिरिक्त बच्ची अपने पिताजी के विषय में भी कुछ बताने में असमर्थ थी। इसी कारण से नाटक के सभी पात्र एक साथ मिल कर भी उसे उसके घर तक नहीं पहुंचा पा रहे थे। 


अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।

मेरे घर का पता है-

ए॰ 3/12 के॰ एम॰-2 

के॰ जी॰ एफ॰ आनंद विहार, नई दिल्ली।    

मेरे घर तक आने के लिए आपको नई दिल्ली बस स्टॉप से 123 नंबर की बस पकड़ के क ख ग चौराहे तक आना होगा और ठीक बाएँ हाथ वाली गली में मुड़ना होगा। आपको एक शिव मंदिर नज़र आयेगा। इस मंदिर के ठीक सामने वाला घर ही मेरा घर है। 


मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक 'पापा खो गए' क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।

प्रस्तुत नाटक एक काल्पनिक कहानी है जिसमें लेखक ने निर्जीव वस्तुओं की पीड़ा का वर्णन किया है। इस नाटक में अलग - अलग पात्र है। इस पाठ में खोई हुई लड़की को उसके पिता से मिलवाने के लिए सभी पात्र भरपूर कोशिश करते हैं। सभी पात्र चाहते हैं कि लड़की किसी तरह अपने घर पहुंच जाए और सभी पात्र एकजुट हो कर बच्ची को उसके पिता से मिलवाने की योजना बनाते है। संभवतः इसी कारण से पाठ का शीर्षक “पापा खो गए” रखा गया होगा। मेरे हिसाब से इस पाठ का शीर्षक है- गुमशुदा बच्ची। 


क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?

बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग बहुत से अन्य तरीके है जिनमें से दो तरीकों को निमन्वत बाते गया है- 

१)बच्ची की तस्वीर को न्यूज़ चैनल पर दिखाया जा सकता है ताकि लोगों का ध्यान आकर्षित हो और बच्ची के पिताजी जहां हो उसे आ कर ले जाए। 

२)बच्ची की तस्वीर को बसों व आसपास के क्षेत्रों के दीवारों पर लगवाना चाहिए ताकि उसके पिताजी तक सूचना पहुँच जाये और वो उसे अपने साथ घर ले जाए। 

अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क / मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा?

बच्चे उठाने वाले आदमी ने बच्ची को उस समय उठाया जब वह बच्ची घर पर सो रही थी। प्रस्तुत नाटक, पापा खो गए, में चोर ने यह बात खुद ही बताई है। बाद में नाटक के सभी पात्र मिल कर बच्ची को आदमी के चंगुल से बचा लेते हैं। 

नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखि।

- समूह में चलना।

- एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।

- अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।

समाज में बढ़ते अपराध को देखते हुये, मेरे विचार से कुछ अन्य उपाय निम्नलिखित हैं- 

  • बच्चों को अपने घर का पता व अपने माता पिता का मोबाइल नंबर याद रखना चाहिए। 

  • घर के पास के किसी प्रसिद्ध दुकान/ मंदिर/ गली याद रखनी चाहिए।

  • बाहर खेलने जाते समय बच्चों को थोड़ा सतर्क रहना चाहिए।

  • माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सही लोग और बुरे लोगों के बारे में बताएं। 

  • यदि बच्चों को लगे की कोई उनके साथ गलत करने की कोशिश कर रहा है तो उन्हें शोर मचा देना चाहिए।

  • माता पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सेल्फ़-डिफेन्स की शिक्षा अवश्य ही दिलाएँ। 

आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे-'सड़क / रात का समय...दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।' यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।

यदि दिये गए दृश्य के अनुसार मुझे कोई दृश्य बनाने का मौका मिलेगा तो बनाऊँगा-

“भयंकर अंधेरी रात है। आसमान में लाखों तारों के बीच में चंद्रमा की रोशनी फैले अंधकार को कम करने की कोशिश कर रही है। सड़कों पर लगीं रोड लाइट्स भी कुछ ज्यादा उजाला नही दे प रहीं है। पास के खुले मैदानों में सियार चिल्ला रहें हैं”। 

पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा। अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिह्न लगाइए-

 विराम चिन्हों का प्रयोग कर के प्रस्तुत अंश निम्नलिखित है - 

मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे बाप रे! वो बिजली थी या आफ़त! याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है, और बिजली जहाँ गिरी थीवहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है, तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थर-थर काँपने लगते हैं।


आसपास की निर्जीव चीज्जों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

- चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद

- कलम का कॉपी से संवाद

- खिड़की का दरवाज़े से संवाद

चॉक का ब्लैकबोर्ड से संवाद 

चॉक - कुछ ही समय में एक हिंदी विषय वाला शिक्षक आएगे और मुझे घिस कर के चले जाएंगे। 


ब्लैकबोर्ड- ओह हां! कोई बात नहीं मैं अभी बिल्कुल साफ हूँ। वह चाहें तो मेरा इस्तेमाल कर के अपने छात्रों को पढ़ा सकते है। 


चॉक- हाँ, सही कहा ब्लैकबोर्ड भाई! बच्चों कि शिक्षा के लिए मैं घिस जाऊँ तो कोई अफ़सोस नहीं। 


कलम का कॉपी से संवाद- 


कॉपी (कलम को देखते हुए)- बच्चे साल भर मुझ पर लिखते रहते हैं और अब मैं थक गया हूँ।    


कलम- अरे! चिंता मत करो। अगले महीने से बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां होंगी, फिर आप और मैं दोनों कुछ दिन आराम करेंगे।


कॉपी- हाँ, कलम भाई! मैं भी बस यहीं सोचकर खुश हूं


खिड़की और दरवाजे में संवाद-


खिड़की (दरवाजों से)- हर साल लोग मेरा रंग बदलते हैं और ये सभी रंग मुझ पर बिल्कुल नहीं जचते। 


दरवाजा- अरे! ऐसा क्यों? नए नए रंग तो तुम पर बहुत जचते हैं। 


खिड़की- क्या सच में? अगर तुम कह रहे हो तो में मान लेती हूँ।