Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Chapter - 2 दादी माँ This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

1. लेखक को अपनी दादी माँ के याद के साथ- साथ बचपन की और किन किन बातों की याद आ जाती हैं? 

जब लेखक को मालूम हुआ कि दादी माँ की मृत्यु हो गई है तो उसके सामने दादी माँ की सभी यादें सजीव हो उठीं। साथ ही उसे अपने बचपन की स्मृतियाँ-गंधपूर्ण झागभरे जलाशयों में कूदना, बीमार होने पर दादी का दिन-रात सेवा करना, किशन भैया की शादी पर औरतों द्वारा गाए जाने वाले गीत और अभिनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़े जाना, रामी चाची की घटना आदि भी याद आ जाती हैं।

2.दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?

दादा जी की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, क्योंकि कपटी मित्रों एवं शुभचिंतकों की बाढ़ आ गई । इन गलत मित्रों की संगति ने सारा धन नष्ट कर डाला था। इसके अलावा दादा के श्राद्ध में भी दादी माँ के मना करने के बावजूद लेखक के पिता जी ने बेहिसाब दौलत व्यर्थ की। यह संपत्ति घर की नहीं थी, कर्ज में ली गई थी। दादी माँ के मना करने के बावजूद उन्होंने नहीं माना जिससे घर की माली हालत डाँवाडोल हो गई।

दादी माँ के स्वभाव का कौन-सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?

दादी माँ के स्वभाव में अनेक पक्ष थे, जो हमें अच्छे लगते थे, मसलन दादी माँ का सेवा, संरक्षणी, परोपकारी व सरस स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन जीतने में सदैव सफल रही।लेखक के बीमार होने पर दादी द्वारा उसकी सेवा करना, रामी चाची की बेटी की शादी पर उसके घर जाकर उसकी सहायता करना व पिछला बकाया ऋण माफ़ करना, पिता जी की आर्थिक तंगी देखकर दादी की निशानी सोने का कंगन उन्हें देना आदि दर्शाता है कि दूसरों की मदद करना ही उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य था। मुझे दादी की सहृदयता और कोमलता वाला पक्ष सबसे अच्छा लगता है।

4. आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़े, जैसे-क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा रहता है, लिखिए।

क्वार– न अधिक गरमी न अधिक सरदी।

       आषाढ़ – भयानके गरमी व कभी-कभी कुछ वर्षा।

माघ – अत्यधिक सरदी।

5. अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं’-लेखक के इस कथन के अनुसार, यह बताइए कि किसे मौसम में कौन-कौन सी चीजें विशेष रूप से मिलती हैं?


जी हां लेखक ने बिल्कुल सही कहा है कि अपने अपने मौसम की अपनी अपनी बात होती है। सभी मौसम एक समान नहीं होती है और सभी मौसम में मिली वाली चीजें भी एक नहीं होती है। हर मौसम की अपनी विशेषता है। तीन मौसम होते हैं सर्दी, गर्मी और वर्षा। 

सर्दी - सरदी के मौसम में बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है। लोग गर्म पानी पीना पसंद करते हैं। फलों में सेब, अमरूद, केले व अंगूर तथा सब्जियों में पालक, बथुआ, सरसों, मटर, फूलगोभी व मूली अधिक मात्रा में मिलते हैं।

गर्मी - गरमी के मौसम में आम, लीची, खरबूजा, तरबूज, खीरा, ककड़ी, अंगूर जैसे फल पाए जाते हैं। सब्जियों में भिंडी, टिंडा, तोरई, घीया, कटहल, खीरा, ककड़ी आदि अधिक मिलते हैं। गर्मी में लोग फलों के रस अत्यधिक पीते हैं।

वर्षा - बरसात के मौसम में बहुत वर्षा होती है। फलों में कई प्रकार के आम, आलूबुखारा, खुरमानी के अलावे इस मौसम के सब्जियों में बैंगन, करेले, परवल, फलियाँ आदि काफ़ी मात्रा में पाए जाते हैं। बारिश के मौसम में गर्म चीजें खाने को भी बहुत मन करता है जैसे पकोड़े,चाय , मैगी समोसे आदि। 

6. इस कहानी में कई बार ऋण लेने की बात आपने पढ़ी। अनुमान लगाइए, किन-किन पारिवारिक परिस्थितियों में गाँव के लोगों को ऋण लेना पड़ता होगा और यह उन्हें कहाँ से मिलता होगा? बड़ों से बातचीत कर इस विषय में लिखिए।

गाँव के लोग पहले आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं। कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं जब लोग उधार शादी-विवाह के खर्च के लिए मकान बनवाने के लिए, बच्चों की फ़ीस जमा करने के लिए, फसलों की बुआई के लिए, बच्चों की पढ़ाई के लिए, पशु खरीदने के लिए, किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए, प्रायः लोग ऋण लिया करते हैं।

यह ऋण उन्हें गाँव के ज़मीदारों व साहूकारों से मिलता है। इसके अलावे यह ऋण सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, सरकार के विभागों, डाकघर से तथा सहकारी समितियों से लोगों को विभिन्न प्रयोजनों के लिए ऋण मिलने लगा है।

7. घर पर होनेवाले उत्सवों/समारोहों में बच्चे क्या-क्या करते हैं? अपने और अपने मित्रों के अनुभवों के आधार पर लिखिए।

घर पर होने वाले उत्सव और समारोह में बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं। बच्चों को पहनने के लिए नए नए कपड़े और खाने के लिए नए नए पकवान मिलते हैं इसलिए बच्चों की खुशी बहुत ज्यादा होती है। कोई भी समारोह उत्सव हो तो बहुत लोग जुटते हैं जिसके कारण भी बच्चों को उत्साह होता है। बच्चे सब मिलकर नाचते हैं गाते हैं खेलते कूदते और घर में बहुत रौनक बना रहता है। किसी भी उत्सव का मजा इन बच्चों के कारण ही आता है।

8. नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए

जरा-सी कठिनाई पड़ते

अनमना-सा हो जाता है।

सन-से सफ़ेद

• समानता का बोध कराने के लिए सा, सी, से का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पाँच और शब्द लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

1.फूल-सी कोमल बच्ची सो रही है।

 2.कोयल की मिश्री-सी गीत बड़ी आनंददायक होती है।

 3.यह फल शहद-सा मीठा है।

 4.वह पत्थर-सा कठोर है।

  5.बच्चे का गाल सेब-सा लाल है।

9. कहानी में छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर देतीं’-जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को जोर देकर कहने के लिए एक से अधिक बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ थक गया, उन्हें ढूंढ-ढूँढ़कर देख लिया। इस प्रकार के पाँच वाक्य बनाइए।

1.सागर के किनारे दूर-दूर तक कोई न था।

2.माँ न जाने क्यों जोर-जोर से चिल्ला रही थी।

3.जीवन में कदम-कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है।

4.मेरे बार-बार मना करने पर भी वह घर छोड़कर चला गया।

5.चोरों ने घर के मालिक को मार-मार कर अधमरा कर दिया।

10. बोलचाल में प्रयोग होनेवाले शब्द और वाक्यांश ‘दादी माँ’ कहानी में हैं। इन शब्दों और वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशों में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए-निकसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंक इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण अन्य क्षेत्रीय बोलियों में अलग ढंग से होता है; जैसे-चिउड़ा को चिड़वा, चूड़त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमशः निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों को बोलचाल में उपयोग होनेवाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।

बोलचाल की भाषा में प्रचलित शब्द व इनका हिंदी रूपांतर : 

मिट्टी-माटी, मट्टी। घासलेट-मिट्टी का तेल । घना-अधिक। बंदा-व्यक्ति । चादर-चद्दर । प्यार-दुलार। पक्षीपंछी। नाटक-नौटंकी। कौआकागा। विवाह-ब्याह, विवाह, शादी। कृष्ण-किशन। घड़ा-मटका, गगरी, घइली। स्नान-नहान।।