Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Chapter-9 'चिड़िया की बच्ची'  This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है की वह सुखी नहीं था?

माधव दास ने अपने लिए कोठी बनवाई थी संगमरमर की और उस कोठी से ही लगा हुआ एक सुंदर बगीचा भी बनवाया था। इससे यह पता चलता है कि उन्हें पैसों की कोई भी कमी नहीं थी। उन्होंने अपनी चिड़िया को भी पैसों का लालच दिया उसे यह बोला कि वह उसे सोने का पिंजरा बनवा कर देंगे मोतियों की झालर लगवा कर देंगे चिड़िया जो भी मांगी वह उसको देंगे। इससे यही ज्ञात होता है कि माधवदास  के जीवन में धन की बिल्कुल भी कमी नहीं थी। उन्होंने चिड़िया से कहा था कि वह अपने महल में अकेले रहते हैं वहां कोई चाहने वाला नहीं है और उनका दिल भी खाली खाली है। इन सभी बातों से यह पता चलता है कि माधव दास पैसे होने के बावजूद भी सुखी नहीं था।

माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।

माधवदास का चिड़िया से यह कहना कि ये बगीचा उसका ही है इस बात में माधवदास का स्वार्थ छुपा हुआ था क्योंकि वह चिड़िया उन्हें बहुत ही प्यारी थी और उस चिड़िया को अपने पास रखने के लिए ही माधवदास उससे यह सब कहा करते थे ताकि वह चिड़िया उन्हें छोड़कर ना जाए।

माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।

माधव दास और चिड़िया एक-दूसरे से बिलकुल ही विपरीत सोचते थे जहां माधवदास धन को ही संसार का सबसे बड़ा सुख समझता था। वह यह समझता था कि धन से वह किसी को भी खरीद सकता है। वहीं चिड़िया के लिए उसकी माँ ही सबसे ज्यादा प्यारी थी उसे सोने की पिछली और मोतियों की झालर की कोई आवश्यकता नहीं थी बल्कि उसे बस प्यार चाहिए था। यही कारण है कि माधव दास के बार-बार बोलने पर भी उसने उसके द्वारा दी गई सुख-सुविधाओं को ठुकरा दिया और इसको उसकी बेवकूफी समझते रहे।

कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

कहानी के अंत में जब नन्हीं चिड़िया माधवदास के नौकर के पंजे से भाग निकली तो मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि अब वह अपनी मां की ममता और प्यार को महसूस कर पाएगी। पिंजरे में रहने से वह स्वतंत्र होकर उड़ भी नहीं पाती थी। उसे दिन भर पिंजरे में कैद करके रखा जाता था जो कि बहुत ही बुरी बात है। चिड़िया माधवदास के लिए बस एक खेलने की वस्तु बनकर रह गई थी इसीलिए उसका स्वतंत्र होना बहुत आवश्यकत था

 'माँ मेरी बाट देखती होगी' - नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी ज़िंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

हमारी मां हमारे लिए जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होती है। जन्म देने के साथ-साथ हमें बड़ा करती है और दुनिया की खराब नजरों से हमें बचाती भी है। वह सुख हो या दुख हो हमारा साथ नहीं छोड़ती है और बच्चे की पहली दोस्त और अध्यापक अध्यापिका भी एक मां ही होती है।

इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?

यदि इस कहानी का कोई और शीर्षक देना होता तो 'सच्चा सुख' भी एक अच्छा से शीर्षक होगा क्योंकि इस कहानी में धन वाले व्यक्ति को जिसका कोई परिवार नहीं है उसको दुखी बता कर एक समान्य से चिड़िया को सुखी बताया गया है जो अपने परिवार के साथ रहती है।

इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।

इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें कई जगह देखने को मिलता है जैसे रोज सुबह सूरज का खिलना और शाम को अस्त होना, चन्द्रमा का रात में आना, तारों का रात में टिमटिमाना, ऋतू में परिवर्तन आदि

सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा -'स्वाधीनता' या 'प्रलोभनोंवाली पराधीनता'?

ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें -

क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।

ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।

ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।

मुझे स्वाधीनता प्रलोभनोंवाली पराधीनता से अधिक प्रिय होगी क्योंकि यदि हमें सारी सुख सुविधा मिल भी जाए तो हम किसी के अधीन रहेंगे। पराधीन व्यक्ति को खुद के सपने देखने का मौका नहीं मिलता है क्योंकि वह हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता है और दूसरों की अच्छा पर जीवन जीता है।

 पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं -

क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।

ख) कभी पर हिलाती थी।

ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।

तीनों 'पर' के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी 'पर' का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए'पर' के प्रयोग हुए हों।

उस पौधे पर फूल लगे हुए हैं।

उस गौरैया के पर बहुत ही बड़े हैं।

ने बहुत प्रयत्न किया पर अपनी पिता को खुश ना कर सका।


पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिन्दी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिन्दी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।

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