Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Chapter - 13 Ek Tinaka.   This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।

जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा – मेरी आँख में एक तिनका का पड़ा।

मुँठ देने लोग कपड़े की लगे – लोग कपड़े की मँठ देने लगे।

(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – ………

(ख) लाल होकर भी दुखने लगी – ………..

(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी – ………

(घ) जब किसी दब से निकल तिनका गया। – ………

 (क) एक दिन जब मुंडेरे पर खड़ा था।

(ख) आँख लाल होकर दुखने लगी।

(ग) बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भगी।

(घ) किसी ने ढब से तिनका निकाला।

‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?

 इस कविता में उस घटना का वर्णन किया गया है जब कवि की आँख में एक तिनका गिर गया। उस तिनके से काफ़ी बेचैन हो उठा। उसका सारा घमंड चूर हो जाता है। किसी तरह लोग कपड़े की नोक से उनकी आँखों में पड़ा तिनका निकालते हैं तो कवि सोच में पड़ जाता है कि आखिर उसे किस बात का घमंड था, जो एक तिनके ने उनके घमंड को जमीन पर लाकर खड़ा कर दिया। उसकी बुधि ने भी उसे ताने दिए कि तू ऐसे ही घमंड करता था तेरे घमंड को चूर करने के लिए तिनका ही बहुत है। इससे यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति को स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ व्यक्ति या वस्तु भी हमारी परेशानी का कारण बन सकती है। हर वस्तु का अपना महत्त्व होता है।


आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?

घमंडी की आँख में तिनका पड़ने पर उसकी आँख लाल होकर दुखने लगी। वह बेचैन और परेशान हो गया और उसका सारा ऐंठ समाप्त हो गया। वो दर्द से तड़प उठा। उसने अनेकों प्रयत्न किए परन्तु सब बेकार वो सिर्फ़ दर्द से कराहता रहा।

 घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?

घमंडी की आँख से तिनका गिरा और उसे तड़पता देख सभी एकत्र हो  गए और तिनका  निकालने के लिए  कपड़े की मुँठ बनाकर उसकी आँख में डाली। और तिनका निकालने का प्रयत्न किया।

 ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,

एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है


तिनका कब हूँ न निदिए पाँव तले जो होय।।

कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय॥

• इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।


(क) उपर्युक्त काव्यांश के माध्यम से कवि ने यह संदेश दिया है कि अहंकार नहीं करना चाहिए। क्योंकि एक छोटा-सा तिनका भी अगर आँख में पड़ जाए तो मनुष्य को बेचैन कर देता है।

(ख) इन दोनों काव्यांशों की पंक्तियों में अंतर-दोनों काव्यांशों में अंतर यह है कि हरिऔध जी द्वारा लिखी पंक्तियों में किसी प्रकार के अहंकार से दूर रहने की चेतावनी दी गई है, क्योंकि एक तिनका भी हमारे अहंकार को चूर कर | सकता है। छोटे-से छोटे वस्तु का अपना महत्त्व होता है। दोनों में घमंड से बचने की शिक्षा दी गई है। प्रत्येक तुच्छ समझी जाने वाली वस्तु का अपना महत्त्व होता है।


 कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किइस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़ने वाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़ने वाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव की जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।

वह घमंडों में भरा ऐंठा हुआ।

एक दिन जब था मुँडेर पर खड़ा

आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,

एक तिनका आँख में उसकी पड़ा

वह झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा

लाल होकर आँख भी दुखने लगी।

मूठ देने लोग कपड़े की लगे,

ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया,

तब उसकी ‘समझ’ ने यों उसे ताने दिए।

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,

एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-

ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,

तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।

• इन पंक्तियों में ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनको अभिनय कैसा होता?

 ऐंठ और समझ

समझ-ऐंठ! इतना ऐंठती क्यों हो?

ऐंठ-समझ! यह तेरी समझ से बाहर की बात है।

समझ-ऐसी कौन-सी बात है जो मेरी समझ में नहीं आती।

ऐंठ-समझ तेरी समझ में यह नहीं आता कि यदि मनुष्य सुंदर हो, धनवान हो, समाज में ऊँचा स्थान रखता हो तो उसे अपने ऊपर घमंड आ ही जाता है।

समझ-नहीं! ऐंठ, कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सब तो क्षणभंगुर है कभी भी नष्ट हो सकता है। लेकिन मनुष्य की विनम्रता उसकी परोपकार की भावना व हँसमुख स्वभाव कभी नष्ट नहीं होता।

(इतने में ऐंठ की आँख में एक तिनका उड़कर पड़ गया।)

समझ–ऐंठ। इतना तिलमिला क्यों रही हो?

ऐंठ-न जाने कहाँ से आँख में तिनका आकर पड़ गया है। मैं तो बहुत बेचैन हो रही हूँ ।

समझ-अब तुम्हारी घमंड कहाँ गया? एक छोटे से तिनके से तिलमिला उठीं।

ऐंठ-मुझे क्षमा करो ‘समझ’। अब मैं कभी अपने पर घमंड नहीं करूंगी।

 नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।

उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।

तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास॥

जिस प्रकार के झोंके से उड़कर तिनके आसमान में चले जाते हैं और सभी तिनके बिखर जाते हैं उसी प्रकार ईश्वर के प्रेम में लीन हृदय सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ऊपर उठ जाता है। वह आत्मा का परिचय प्राप्त कर परमात्मा से मिल जाता है, यानी उसे अपने अस्तित्व की पहचान हो जाती है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त होकर ईश्वर के करीब पहुँच जाता है। यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है।

‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धर्म से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रियों को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-

छप से

टप से

थर्र से

फुर्र से

सन् से।

(क)मेंढक पानी में …………….. कूद गया।

(ख)नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद …………………….. च गई।

(ग)शोर होते ही चिड़िया ………………….. उड़ी।

(घ) ठंडी हवा ……………………. गुजरी, मैं ठंड में …………………….. काँप गया।

क ) मेंढक पानी में छप से कूद गया।

ख ) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद टप से चू गई।

ग ) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।

घ ) ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।