Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Chapter-10 अपूर्व अनुभव This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।

यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने के लिए तोत्तो-चान ने अक्षम्य प्रयास क्योंकि तोत्तो-चान चाहती थी कि यासुकी-चान पेड़ पर चढ़ना अनुभव कर सके किंतु यासुकी-चान को पोलियो था, जिस कारण वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाया था। यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाया था इसलिए उसे पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान को परिश्रम करना पड़ा।


दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।

दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे-

० तोत्तो चान का उद्देश्य यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना था किंतु यासुकी-चान का लक्ष्य पेड़ पर चढ़ना था।

०तोत्तो चान जहां अपने मित्र की सहायता करती है वहीं यासुकी-चान स्वयं की सहायता करने की कोशिश करता है।

०तोत्तो चान जहां अपने मित्र की सहायता करके ख़ुशी पाती है यासुकी-चान स्वयं की सहायता कर संतुष्टी प्राप्त करता है।

०तोत्तो चान जहां मैत्रत्व के भाव को अपना रही है यासुकी-चान आत्मबल और आत्मशक्ति से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं को दर्शाता है।

पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?

जब यासुकी-चान और तोत्तो-चान एक तिपाई-सीढ़ी के द्वारा पेड़ की द्विशाखा तक पहुँच रहे थे तब सूरज का ताप उन पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे। उन्हें काफ़ी पसीना आ रहा था। जब तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींच रही थी तब एक बादल का बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कड़ाती धूप से बचाने लगा था। मेरे हिसाब से यह मौसम का बदलता रूप इस बात का प्रतीक है कि जब हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना शुरू करते हैं तो अनेकों बाधाओं का सामना हमें करना पड़ता है किंतु यदि हम उन बाधाओं का डटकर सामना करें तो ईश्वर भी हमारे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मदद करता है।

 'यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह..........अंतिम मौका था।'-इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?

यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था। लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि यासुकी-चान को पोलियो था, यासुकी-चान के लिए अपने बल पर पेड़ पर चढ़ना संभव नहीं था और न ही किसी ने आज तक उसके बारे में नहीं सोचा था। वहीं दूसरी ओर तोत्तो-चान अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, इस तरह झूठ बोलकर और सबसे छुपाकर इतनी मेहनत करके हमेशा उसकी मदद नहीं कर सकती थी।

तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन मे यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?

 तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन मे यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। हमें ऐसे कार्य के लिए दृढ़संकल्प करना चाहिए जिससे किसी को खुशी मिले, किसी का अच्छा हो सके। हमें किसी ज़रूरतमंद के काम आना चाहिए और साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार कठोर परिश्रम करते रहना चाहिए।

हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?

 हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि मुझे अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना होगा तो मैं अनाथ बच्चों को या जो भी गरीब बच्चे हैं उनके लिए रोजाना एक घंटे की कक्षा लगाकर उन्हें पढ़ाना तथा उन्हें तरह तरह के खेल खिलाकर उनके और अपने चेहरे पर मुस्कान लाना चाहूंगी।

अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्यों थीं? 

अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्योंकि तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने के लिए आमंत्रित किया था। और जब माँ ने उससे पूछा कि वह कहाँ जा रही है तो उसने झूठ कहा कि वह यासुकी-चान से मिलने उसके घर जा रही है।यह कहते समय उसकी नज़रें नीची थीं क्योंकि वह माँ से झूठ बोल रही थी। और जब बच्चा अपनी मां से झूठ बोलता है तो मां उसके झूठ को तुरंत पकड़ लेती है ऐसा सोच कर ही  शायद वह माँ से नजरें नहीं मिला पाई। यह बात उसने अपनी माँ से इसलिए छिपाई थी क्योंकि उसे मालूम था कि माँ यह जोखिम भरा कार्य उसे कभी नहीं करने देगी।

यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।

 यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। कई जगहों पर अपंगो के चढ़ने उतरने के लिए लिफ्ट और तकनीकी सीढ़ियों की सुविधा है। तो कहीं कहीं पर रैम्प बनवाएं जाते हैं।उन सुविधावाली जगहों की सूची इस प्रकार है- 

०मेट्रो स्टेशन

०शॉपिंग माल 

०अस्पताल

०विद्यालय

०हवाई अड्डा 

 द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है- डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे – हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी-एट।

 द्विशाखा, द्वि और शाखा दो शब्दों के योग से बना है। यहाँ द्वि का अर्थ दो से है तथा शाखा का अर्थ डाली से है, त्रिकोण शब्द भी त्रि और कोण दो शब्दों के योग से बना है। जिसमें तीन कोण हो, उसे त्रिकोण कहा जाता है। इन संख्यावाची शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे – हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी-एट।


हिंदी संस्कृत अंग्रेजी

दो द्वि टू

तीन त्रि थ्री

पाँच पंच फाइव

छह षट सिक्स

सात सप्त सेवन

नौ नवम् नाइन


पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।

 प्रत्यय वे शब्द होते हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में बदलाव ला देते हैं। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द निम्नलिखित हैं-

प्रत्यय आना से शब्द मूल शब्द

  • आना उपजाना             उपज

  • आना छिपाना             छिप

  • आना गिराना             गिर

  • आना अटकाना अटक