Welcome to NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Bhag 2 Chapter-13 नृत्यांगना सुधा चंद्रन. This guide offers step-by-step solutions, designed by language experts to align with the NCERT curriculum, aiding in better understanding and scoring higher in exams.

1. “जीवन के किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुँचने के लिए किस चीज की आवश्यकता पड़ती है।“

उत्तर: “दृढ़ इच्छाशक्ति व कठिन परिश्रम दोनों ही चीजों की आवश्यकता जीवन के किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुंचने के लिए होती है।“



    2. सुधा की प्रतिभा देखकर किस प्रसिद्ध नृत्य शिक्षक ने उसे शिष्या के रूप में स्वीकार कर लिया|

    उत्तर: श्री एफ.एस. रामास्वामी भागवतार प्रसिद्ध नृत्य शिक्षक ने सुधा की प्रतिभा देखकर उसे अपने शिष्या के रूप में स्वीकार कर लिया।

    3. सुधा को भारत के किस समारोह में विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया।

    उत्तर: भारत के प्रसिद्ध नृत्य शिक्षक 33वें राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में सुधा को विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया।

      4. एक अन्य नृत्यांगना प्रीति के साथ सुधा ने दुबारा नृत्य के सार्वजनिक प्रदर्शन का आमंत्रण कहाँ स्वीकार कर लिया?

      उत्तर: 28 जनवरी, 1984 को मुंबई के ‘साउथ इंडिया वेलफेयर सोसायटी’ के हाल में एक अन्य नृत्यांगना प्रीति के साथ सुधा ने दुबारा नृत्य के सार्वजनिक प्रदर्शन का आमंत्रण स्वीकार कर लिया।

      5. मयूरी फ़िल्म हिंदी में किस नाम से प्रसिद्ध है?

      ‘नाचे मयूरी’ नाम से मयूरी फ़िल्म हिंदी में भी प्रसिद्ध है।

        6.“जीवन के किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुँचने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम की आवश्यकता पड़ती है।“ किस पाठ से लिया गया है? पाठ के लेखक का नाम लिखो ।

        उत्तर: “जीवन के किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुँचने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम की आवश्यकता पड़ती है।“ यह पाठ नृत्यांगना सुधा चंद्रन’ से लिया गया है जिसके लेखक रामाज्ञा तिवारी जी हैं।

        7. सुधा चंद्रन ने नृत्य का ज्ञान कहाँ प्राप्त किया?

        उत्तरः सुधा चंद्रन ने पाँच वर्ष की अल्पायु में ही मुंबई के एक प्रसिद्ध विद्यालय में प्रवेश लिया था और यहीं से इनको नृत्य का ज्ञान मिला।

        8. मयूरी क्या है?

        उत्तरः मयूरी सुधा चंद्रन के जीवन पर आधारित एक फ़िल्म थी। जिसे तेलुगु फिल्मकार के द्वारा बनाया गया। इसमें सुधा चंद्रन की जिंदगी को विस्तार से कहानी के रुप में प्रस्तुत किया गया। अपने पात्र को सुधा ने स्वयं परदे पर जीवंत कर दिया।

        9. “उसकी अद्भुत जीवन-यात्रा से प्रभावित होकर तेलुगु के फ़िल्मकार ने उसकी जिंदगी को आधार बना कर एक कहानी लिखवाई” यह वाक्य किसको संबोधित करता है और कहानी का क्या नाम है?

        उत्तरः सुधा चंद्रन की अद्भुत जीवन-यात्रा से प्रभावित होकर तेलुगु के फ़िल्मकार ने उसकी जिंदगी को आधार बना कर एक कहानी लिखवाई और मयूरी' नाम से तेलुगु में एक फ़िल्म बनाई ।

        10 . बस दुर्घटना के पश्चात सुधा के साथ क्या हुआ?

        उत्तर: बस दुर्घटना के पश्चात सुधा के साथ यह हुआ कि सुधा को अपना पैर गवाना पड़ा। सुधा ने डॉ. सेठी से मुलाकात की और डॉ. सेठी ने उनको एक कृत्रिम पैर लगाया गया जिसके पश्चात सुधा नृत्य का वापिस से प्रशिक्षण लेने लगी।

        11. लेखक रामाज्ञा तिवारी अनुसार जीवन को सफल कैसे बना सकते है?

        उत्तर: लेखक रामाज्ञा तिवारी जी के अनुसार जीवन में सफलता पाने के केवल दो ही रास्ते हैं। पहला कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ इच्छा शक्ति । यही दो रास्ते हैं जिनसे व्यक्ति सफलता को असफलता पर भी विजय पा सकता है।

        12. सुधा चंद्रन कौन है? उनके माता पिता क्या चाहते थे?

        उत्तरः सुधा चंद्रन एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है। सुधा चंद्रन की माता श्रीमती थंगम एवं पिता श्री के.डी चंद्रन की यह एकमात्र इच्छा थी कि उनकी बेटी राष्ट्रीय ख्याति की नृत्यांगना बने । पैर खराब होने के बावजूद भी वह एक सर्वश्रेष्ठ नृत्यांगना बनी।

        13. सुधा चंद्रन के अँधेरी दुनिया का उजाला कौन बना?

        उत्तर:सुधा चंद्रन के अँधेरी दुनिया का उजाला डॉ. सेठी बने जिन्होंने अपने अनुभवों के निचोड़ से सुधा के लिए ऐसा हल निकाला कि उनके लिए नृत्य करना आसान हो पाए। वह एकमात्र हल था "कृत्रिम पैर" ।

        14. सुधा नकली पैर के सहारे क्या करने में कामयाब हुई थी?

        उत्तरः सुधा चंद्रन ने नकली पैर के सहारे विश्व कामयाबी हासिल की जो एक सामान्य व्यक्ति के लिए असंभव है। उन्होने यह साबित कर दिया कि मनुष्य अगर दृढ़ निश्चयी हो तो वह हर असंभव कार्य को संभव कर सकता है। उन्होंने अपनी प्रतिभा को सभी के समक्ष प्रदर्शित किया और सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने। उन्होने यह दिखा दिया कि विकलांगता एक अभिशाप नहीं है । वह पूरे भारत में अपनी बहादुरी व मनोबल हेतु लोकप्रिय हो गई।

        15. सुधा की इंद्रधनुषी दुनिया कैसे टूट गयी थी ?

        उत्तर: सुधा की इंद्रधनुषी दुनिया एक दुर्घटना के कारण टूट गयी थी क्योंकि एक दुर्घटना में उन्हें अपना पैर गंवाना पड़ा जिससे कि कहीं ना कहीं उनके नृत्यांगना बनने का सपना भी टूटने की स्थिति में आ चुका था।

          16. सुधा चंद्रन के जीवन सबसे बुरा दिन के बारे में बताईये?

          उत्तर: सुधा चंद्रन के जीवन का सबसे बुरा दिन वह था जब वे दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। उन्होंने इस दुर्घटना में पैर अपना गवा दिया था। जब वह 2 मई को तिरुचिरापल्ली से मद्रास जा रही थी उस दौरान घटना में उनके पांव की एड़ी टूट गई और दाया पांव बुरी तरह से जख्मी हो गया ऐसे में डॉक्टरों के पास उनके पांव को काटने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा क्योंकि वह गैंग्रीन से ग्रस्त हो चुका था। संभवतः किसी भी नृत्यांगना के लिए वह जीवन और उसके नृत्य का अंत होता है या कह सकते हैं कि उनके इंद्रधनुषी दुनिया में अंधेरा छा गया।

          17. किन्तु सुधा साधारण मिट्टी की नहीं बनी थी।“ लेखक ऐसा क्यों कहते है?

          उत्तरः “ किंतु सुधा साधारण मिट्टी की नहीं बनी।“ लेखक ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जब वे दुर्घटना में अपना पैर गवां चुकी थी। तब उनके लिए डॉक्टर सेठी ने नया एल्युमिनियम का पांव बनाया था जिसे लगाकर वह आसानी से नृत्य कर सकती थी या घूम सकती थी मगर जब पूर्ण आत्मविश्वास के साथ मुंबई लौटे और उन्होंने नृत्य का प्रयास किया तो उनकी कटी हुई टांग से खून बहने लगा | जिसमें कोई भी सामान्य व्यक्ति अपना धैर्य खो बैठता मगर उन्होंने अपने हिम्मत नहीं हारी और वह उठ कर खड़ी हो दुबारा नाचने की कोशिश करने लगी | यही कारण है कि लेखक ने उन्हें साधारण मिट्टी की नहीं बनी कहकर पुकारा है।

          18. लेखक के अनुसार सुधा का सबसे कठिन परीक्षा कब थी?

          उत्तर: लेखक के अनुसार सुधा का सबसे कठिन परीक्षा 28 जनवरी 1984 को मुंबई के साउथ इंडिया वेलफेयर सोसाइटी के हॉल में थी। जहां उन्होंने दोबारा नृत्य के सार्वजनिक प्रदर्शन के आमंत्रण को स्वीकार किया था। यह दिन उस दिन से भी अधिक कठिन था जब सुधा ने अपने पैर को खोया था | सुधा का यह शानदार प्रदर्शन चहेताओं के दिल को बेहद लुभा गया। उन्होंने उसे सर आंखों पर बिठा लिया जिससे वे रातों-रात एक ऐतिहासिक महत्व के व्यक्तित्व के रूप में जाने जाने लगी।

          19. सुधा ने विकलांगता को कैसे हराया?

          उत्तरः सुधा ने विकलांगता को अपने कठोर परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे हराया। उन्होने यह भी साबित कर दिया कि अगर व्यक्ति चाहे तो वह कुछ भी कर सकता है यानी कि कोई भी असंभव कार्य संभव किया जा सकता है। सुधा चंद्रन के प्रयासों ने यह दिखा दिया कि विकलांगता अभिशाप नहीं है। इस जज्बे ने लोगों को हैरानी में डाल दिया। यही कारण था कि वह पूरे भारत में प्रसिद्ध हुई और एक मिसाल के रूप में नजर आए।

          20. “उसकी अदभुद जीवन-यात्रा से प्रभावित होकर तेलुगु के फ़िल्मकार ने उसकी जिंदगी को आधार बना कर एक कहानी लिखवाई” यह वक्या किसको संबोधित करता है और क्यों?

          उत्तरः मयूरीनाम से तेलुगु में एक फ़िल्म बनाई गई जो कि तेलुगु के फिल्मकार ने सुधा चंद्रन के अद्भुत जीवन यात्रा से प्रभावित होकर बनाई थी जिसने उसकी जिंदगी को आधार बना कर एक कहानी लिखवाई और उसे फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया। सुधा चंद्रन जी ने अपनी जीवन में बहुत अधिक दुख झेले थे। उनके माता-पिता श्रीमती संगम और श्री केडी चंद्र की यह इच्छा थी| उनकी बेटी प्रसिद्ध राष्ट्रीय ख्याति नृत्यांगना बने लेकिन एक दुर्घटना के बाद उनकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी। मगर सुधा जी के कठोर परिश्रम और दृढ़ निश्चय ने इस असंभव काम को भी संभव बना दिया जिससे कि वह एक प्रसिद्ध नृत्यांगना बनी। उन्होंने अपनी बहादुरी से कई उपलब्धियां भी हासिल की।