Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 "Sapno Ke Se Din". These Solutions are designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती-पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?

भारत देश में बहुत भाषाएँ बोली जाती है। अलग अलग जगह के लोग एक साथ मिलकर स्नेह से रहे तो भाषा कोई भी हो उनको विभाजित नहीं कर सकती है। लेखक के गाँव में राजस्थान  और हरियाणा के लोग रहते थेl उनकी भाषा अलग थी पर खेल में सभी मिलकर स्नेह के साथ खेलते थे और उनके बीच भाषा बाधा नहीं बनती थी।

पीटी साहब की 'शाबाश' फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए|

किसी बहुत अधिक कड़क और अनुशासन वाले व्यक्ति से तारीफ सुनना बहुत सौभाग्य की बात होती है। ठीक उसी प्रकार लेखक की कहानी में पीटी साहब बहुत सख्त मिजाज के इंसान थेl इसलिए पीटी साहब से मिली शाबाशी की ख़ुशी बच्चों के लिए फ़ौज के सारे तमगों को जीतने के बराबर थी। 

नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

दूसरे बच्चों की तरह लेखक भी अपने बचपन में नई किताबो के साथ नई श्रेणी में जाना चाहते थेl नई किताबों से आती खुशबू बच्चों के मन को लुभाती थाl परन्तु हेडमास्टर उनके लिए पुरानी किताबो का प्रबंध कर देते थे क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पुरानी किताबो से आती गंध उनको पसंद है थी जो उनको उदास कर देती थी।


स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण 'आदमी” फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

 लेखक एक जवान की तरह स्काउट की बिल्कुल साफ और चमकदार यूनिफार्म पहनकर परेड पर जाते थे और एक पंक्ति में लेफ्ट राईट करते हुए चलते थे l परेड करते समय तेज आवाज में सीटी के साथ कदम-चाल करते समय लेखक अपने आप को एक फ़ौजी जैसा मानते थे और खुश हो जाते थे। 

हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्‍यों मुअत्तल कर दिया?

 पीटी साहब का बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करने से हेडमास्टर जी ने उन्हें मुअत्तल कर दिया था। बच्चे वो कठिन शब्दरूप नही याद कर पाए थे। यह इतनी बड़ी गलती नही थी कि बच्चों को सजा दी जाये वो भी इनती क्रूरता के साथ। इसलिए हेडमास्टर जी उन्हें कुछ दिनों के लिए स्कूल से बाहर कर दिया था।

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

स्कूल के कड़क अनुशासन के भय के साथ साथ वहां होने वाले और कई कार्यों में लेखक को ख़ुशी भी मिलती थी। इसलिए वे स्कूल को चाहते हुए भी नही छोड़ पाते थे। स्काउट की पोशाक और बूट पहनकर उनको बहुत ख़ुशी मिलती थी। और वे स्कूल जाना पसंद करने लगे थे। 

लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काप को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति 'बहादुर' बनने की कल्पना किया करता था?

स्कूल के छुट्टियों के कार्यो को पूरा करने के लिए योजनाएँ तो बहुत बनी। परंतु खेल-कूद में सारी छुट्टियाँ ख़त्म होने लगी थी l समय रहते छुट्टियों के कार्यो को पूरा ना करने पर लेखक का भय बढ़ने लगा। तब लेखक अपने आप को बहादुर समझ रहे थे और स्कूल की मार को बहुत बहादुरी का काम समझ रहे थे।


 पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

व्यक्ति यदि कठोर है तो जरुरी नहीं कि वह हमेशा ऐसा ही हो। बिल्कुल इसी तरह पीटी सर बहुत कड़क स्वभाव के थे पर अन्दर से बहुत दयालु थे। उनके लिए छात्रों में भय और आदर दोनों ही थे। वो गलती होने पर दंड देते थे तो बढ़िया कार्य करने पर शाबाशी भी देते थेl उनसे तारीफ मिलना बच्चों के लिए बहुत ख़ुशी की बात होती थी। 

विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

पहले के समय के स्कूल और आजकल के स्कूल में लेखक ने बहुत अच्छे से अंतर बताया है। अनुशासन हो या बच्चो का चरित्र दोनों हो बदल गये है। बच्चों के स्वाभाव में बहुत अंतर आ गया है। लेखक के समय में बच्चों को स्कूल का जो भय था आजकल के बच्चों में थोड़ा-सा भी नहीं है। आज कल के स्कूलों में अनुशासन भंग करने पर पिटाई नहीं होती हैl

बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।

 बचपन की यादे सभी के लिए हंसी का भंडार होती है। बचपन में सबसे ज्यादा स्कूल की यादे मजेदार होती है। लेखक ने अपनी बचपन और स्कूल की बाते हमें इस कहानी से बताया है। सभी के लिए स्कूल के दोस्त और वहां के अध्यापक और उनकी मार हँसाती है। स्कूल में सभी दोस्तों के साथ टिफिन बांटकर कर खाना। स्कूल के कार्यक्रमों में भागीदार बनना बहुत ही अच्छा लगता था। स्कूल में गलती पकड़े जाने पर सजा मिलना भी एक याद ही बन गया है। हर किसी व्यक्ति के जीवन में स्कूल और उससे जुड़े हुए कई किस्से होंगे जिन्हें आज भी याद करके लोग हँसते हैं और बचपन के उन दिनों को याद करते है।  

.प्राय: अभिधावक बच्चों को खेल-कूद में ज़्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए-  

(क) खेल आपके लिए क्‍यों ज़रूरी हैं? 

बच्चो के शारीरिक विकास के लिए खेल कूद बहुत जरुरी है। एक साथ खेल के मैदान में दुसरे बच्चो के साथ खेलना उनके बीच उत्साह के लिए प्रेरित करता है। एक साथ एक समूह में सामिल हो कर मिलकर कार्यो को सम्पन्न करना,ये सब खेल कूद से सिखने को मिलता है। खेल कूद आजकल बहुत आगे बढ़ चुका है। आजकल खेल कूद में कई सारी सम्भावनाये बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए बनते जा रहे हैंl देश के लिए खेलने वालो को मिलने वाला सम्मान कितना आन्दमय लगता है।


(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति नहों?

यदि खेल कूद के साथ साथ अपनी पढाई भी सही तरीके से की जाये तो माता पिता को कोई आपत्ति नही होगी। समय का ध्यान रखते हुए खेलना और पढाई को भी उतना समय देने से अभिभावक को कोई भी कष्ट नही होगा। और यदि हम खेल कूद में अपना और अपने देश का नाम रोशन करेगें तो उन्हें बहुत ही ख़ुशी मिलेगी।