Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kritika Chapter 4  "Ahi Thaiya Jhulni Herani Ho Rama". These Solutions are designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

इस कहानी में लेखक ने टुन्नू और दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से समाज में हीन दृष्टि से देखे जाने वाले वर्ग को दिखाने का प्रयास किया है। टुन्नु और दुलारी कुछ समाज के लोग बहुत ही हीन दृष्टि से देखते हैं। टुन्नु एक गायक था और दुलारी भी बहुत ही प्रसिद्ध गायिका थी। देश में हो रहे आजादी के लिए जुलूस में हिस्सा लेकर दोनों ने यह दिखाने की कोशिश की कि उनका वर्ग बस नाचने वाले के लिए नहीं बल्कि आजादी प्राप्त करने में भी भाग ले सकता है। दुलारी ने अपनी रेशमी साड़ियां जला दी और इस बात का प्रमाण दिया कि वह कि वह केवल आराम की जिंदगी छोड़ के आजादी की लड़ाई में भी हो योगदान देना चाहती है।

2. कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

दुलारी एक अकेली महिला थी इसीलिए वह स्वयं को समाज की बुरी नजरों से बचाने के लिए कठोर होने का दिखावा करती थी लेकिन वह अंदर से बहुत ही नरम दिल की थी। उसका आचरण उस नारियल की तरह था जो केवल बाहर से कठोर होता है और उसके अंदर बहुत सारा प्रेम छुपा होता है। वह जानती थी कि तुम मुझसे बहुत प्रेम करता है लेकिन फिर भी वह दोनों को हमेशा खुद से दूर करती रहती थी क्योंकि उसे पता था कि टुन्नू की उम्र उससे काफी छोटी है। जब फेंकू ने उसे ये बताया कि टुन्नू की मृत्यु हो गई है तो वह बहुत फूट-फूट कर रोई। कभी किसी के लिए ना रोने वाली महिला टुन्नू के लिए रोई और इससे यह सिद्ध हो गया कि दोनों का प्यार सच्चा था। उसने टुन्नू द्वारा दी गई खादी की धोती भी पहन ली।

3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।

कजली दंगल जैसी गतिविधियां पुराने समय में केवल एक मनोरंजन का साधन हुआ करती थी इस में काम करने वाले लोगों को प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं थी इंजॉय कोकोस मुकेश किसी समारोह में बुलवा कर आयोजन किया जाता था और अपनी प्रतिष्ठा को उन से जोड़ा जाता था क्योंकि यही कजली गायक किसी भी समारोह को अच्छा बनाने में सहायक होते थे। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार के समारोह का प्रचलन है जैसे उत्तर भारत में कुश्ती, राजस्थान में लोक संगीत या पशुओं का मेला, पंजाब में लोक नृत्य या लोक संगीत, भारत में बैलों के बीच में दंगल या हाथी का युद्ध आयोजित किया जाता है।

4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक−सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

दुलारी को सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर रखा जाता है क्योंकि उसके काम की वजह से उसे समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं हुई थी लेकिन इसके बावजूद भी उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि उसकी वजह से उसे काफी नाम प्राप्त हुआ था। दुलारी की यह कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं-

प्रभावी गायिका - दुलारी की आवाज काफी मधुर थी और वह जिस भी संयोजन में जाती थी उसकी जान बन जाती थी। पद्य में सवाल करती थी और उसके सामने तो अच्छे से अच्छे गायक भी फीके पड़ जाते थे।

देश प्रेमी - दुलारी स्वयं तो स्वतंत्रता संग्राम में नहीं गई लेकिन फिर भी वह देश के प्रति समर्पित थी। उसने बिना कुछ सोचे समझे फेकू द्वारा दी गई सभी रेशमी साड़ियों को आंदोलनकारियों को जलाने के लिए दे दिया था।

समर्पित प्रेमिका - दुलारी तुम उसे सच्चा प्रेम करती थी लेकिन तूने जब तक जिंदा रहता तक उसने कभी उसको अपने करीब ना आने दिया। ना ही अपने प्यार को दिखाया लेकिन जब उसे टुन्नू के मरने की खबर मिली तो उसने फूट-फूटकर रो के अपने प्यार को दिखा दिया।

निडर स्त्री - दुलारी एक बहुत ही निडर स्त्री थी। वह कभी अपने जीवन में किसी से नहीं डरे अकेले रहने के बावजूद भी उसने स्वयं को इतना निडर बनाया कि कोई उसको कुछ भी ना कह पाता था। इसीलिए नीडरता के कारण फेंकू द्वारा दी गई साड़ियों को जलाने के लिए दे दिया और दोनों के मृत्यु के पश्चात अंग्रेज विद्रोही समारोह में भाग भी लिया और अपना गायन भी पेश किया।

स्वाभिमानी स्त्री - दुलारी बहुत ही स्वाभिमानी स्त्री थी। उसने अपने सम्मान के लिए हमेशा समाज से लड़ाई की और कभी भी किसी समझौते पर नहीं आई। वह अकेले रहकर ही सबके लिए काफी थी इसीलिए उसने फेकू द्वारा दी गई साड़ियों को भी फेंक दिया।

5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

तनु और दुलारी की जान पहचान तीज के अवसर पर रखे गए ख्वाजा बाजार के गीत समारोह में हुआ था जहां पर दुलारी को गाना गाने के लिए बुलाया गया था ।वहां पर दुलारी का बहुत अच्छा खासा नाम भी था। उससे पद में ही सवाल जवाब करने की महारत हासिल थी। अच्छे से अच्छे गायक भी उसके सामने कुछ भी नहीं थे और इसी कारण से कोई उससे आमने-सामने की टक्कर नहीं लेता था। इसी दंगल में तनु की मुलाकात दुलारी से हुई थी। दुलारी कोई सोलह−सत्रह वर्ष के लड़के ने गायन की विद्या में हरा दिया था। वह केवल अकेला ऐसा कजरी गायक था जो अच्छे-अच्छे को पानी पिला दे। इस कजरी गायक ने दुलारी के मन को मात्र 6 महीने में हासिल कर लिया था।

6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था - "तैं सरबउला बोल ज़िन्दगी में कब देखने लोट?...!"दुलारी से इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

दुलारी ने इस कथन में समाज में रह रहे उन लोगों पर करारा तंग किया है जो केवल दूसरों की बुराई करते हैं और खुद कोई काम नहीं करते। दुलारी कहती है कि यह जीवन में आज क्या हो और कल क्या हो वह किसी को भी नहीं पता है। इसीलिए हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। जीवन में कभी भी आपको धन देखने को मिल सकता है या कभी भी आप से धन छीन सकता है या दुलारी का कहना था।

7. भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

देश में चल रहे अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बहिष्कार आंदोलनों में दुलारी रेशमी सारी को फेंक कर अपना योगदान प्रस्तुत किया। उसने प्रत्यक्ष रूप से आंदोलन में भाग ना लेकर भी अपना योगदान सबके सामने दे दिया। टुन्नू ने एक सिपाही बनकर देश के प्रति अपने प्यार को प्रस्तुत किया उसने रेशमी कुर्ता व टोपी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना शुरू कर दिया था। उसने इन आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

दुलारी और टुन्नू के मन में एक दूसरे के लिए बहुत सम्मान और प्रेम था और यह प्रेम केवल उनके कला के माध्यम से ही उनको प्राप्त हुआ था। दुलारी ने टुन्नू के प्रेम को कभी स्वीकार ना किया लेकिन वह भी मन में दोनों को प्रेम करती थी। दुलारिया भली-भांति जानती थी कि टुन्नू उससे सच्चा प्रेम करता है ना कि कोई शारीरिक प्रेम। टुन्नू की इसी भावना को देखकर दुलारी के मन में उसके लिए श्रद्धा भावना आ गई थी। जब उसके मृत्यु का समाचार दुलारी को मिला तो उसका ह्रदय टूट गया यह समाचार उसके लिए असहनीय था। टुन्नू का मृत्यु का समाचार मिलने के बाद ही दुलारी भी स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करने के लिए समारोह में कूद गई और अपना गायन प्रस्तुत किया।


9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकाशं वस्त्र फटे−पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

दुलारी में विदेशी कपड़ों को फेंक कर यह दिखा दिया कि उसके लिए ये महंगे वस्त्र देश से बढ़कर नहीं है। वह देश के लिए कुछ भी कर सकती है। वैसे देखा जाए तो कपड़े तो हर घर से फेंके गए थे लेकिन वह सारे कपड़े पुराने थे। दुलारी द्वारा दिए गए रेशमी कपड़े थे जिसका उसको बिल्कुल भी मुंह नहीं था और यह उसकी मानसिकता को दर्शाता है। उसके लिए यह रेशमी कपड़े देश के मूल्य से कम थे।

10. मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।" टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

टुन्नू दुलारी से बहुत प्यार करता था लेकिन वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा था इसी वजह से दुलारी उसके प्रेम को केवल एक नादानी समझती थी। उसे यह विश्वास नहीं था कि तुम मुझसे सच्चा प्यार करता है। लेकिन इन वाक्यों को देखकर एक लड़के की सच्ची प्रेम की व्यथा समझ आती है। उस लड़के के प्रेम में शारीरिक भावना नहीं थी बल्कि उसका प्रेम आत्मिक था। टुन्नू द्वारा बोले गए सभी शब्दों दुलारी के युद्ध में उसका स्थान और ऊंचा कर दिया और टुन्नू का स्थान अब कोई भी नहीं ले सकता है।

11.  'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! का प्रतीकार्थ समझाइए।

इस कथन का अर्थ यह होगा कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है, मैं किससे पूछुँ? दुलारी की मनोस्थिति को देखे तो जिस स्थान पर उसे गाने के लिए बुलाया गया था उसी स्थान पर टुन्नू की मृत्यु भी हुई थी तो उसका प्रतीकार्थ होगा - इसी स्थान पर मेरा प्रियतम मुझसे बिछड़ गया है। अब मैं किसको पूछूं कि मेरा प्रियतम कहां गया? अर्थात अब उसका प्रियतम मुझसे दूर हो गया है उसको पाना उसके बस में नहीं है।