Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kshitij's Chapter 10 "Saviya Prakash". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

चश्मेवाला कभी सेना में कार्यरत नहीं रहा फिर भी लोग उसे कैप्टन कह कर पुकारा करते थे। इसका मुख्य कारण चश्मेवाले का देश-प्रेम था। देश के प्रलत त्याग व समर्पण की भावना उसके ह्रदय में किसी भी सेनानी से कम नहीं थी। वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सभी सेनानियों का बहुत सम्मान करता था। वह नेताजी की मूर्ति को बार-बार चश्मा पहना कर देश के प्रति अपनी अपार श्रद्धा को प्रकट करता था।

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-

(क) हालदार साहब पहले मायस क्यों हो गए थे?

हालदार साहब जब चौराहे पर पहुँचे तो उन्होंने मूर्ति के चेहरे पर कोई भी चश्मा लगा हुआ नहीं देखा। पास के पान की दुकान से पता करने के बाद उन्हें कैप्टन के मृत्यु की खबर मिली जिससे सुनकर वह मायूस हो गए। वह यह सोचने लगे की कैप्टन जैसी देशभक्ति दिखाने वाला अब कोई नहीं रह गया जो नेताजी के चेहरे पर चश्मा लगाए। 

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए माना किया परंतु चौराहे पर लगी नेताजी की मूर्ति को देख कर उन्होंने तुरंत गाड़ी रोकने के लिए कह दिया। चौराहे पर लगी नेताजी की मूर्ति के चेहरे पर चश्मा लगा हुआ था। मूर्ति पर लगा सरकंडे का चश्मा लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत करता था। साथ ही यह दर्शाता की लोगों के अंदर देश-प्रेम की भावना अब भी चरम पर है। 

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-

(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

कैप्टन के मृत्यु का पता चलने के बाद हालदार साहब बहुत ही उदास होकर अपने घर को लौट गए। पंद्रह दिनों बाद जब वह वापस कस्बे से गुजरे तो न चाहते हुए भी उनकी नज़रे कस्बे के चौराहे पर लगी नेताजी की मूर्ति पर चली गई। मूर्ति को देख कर उन्होने अपनी गाड़ी रुकवाई और स्वयं मूर्ति के सामने जा खड़े हुए। मूर्ति के चेहरे पर लगे सरकंडे से बना एक छोटा चश्मा लगा देखा। मानों जैसे किसी बच्चे ने अपने हाथों से बना कर लगाया हो। यह देख कर हालदार साहब भावुक हो गए। 

आशय स्पष्ट कीजिए-

"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।"

देशभक्तों ने देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया और आज भी बहुत से देश-प्रेमी राष्ट्र सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात हैं। यह देश-प्रेमी मातृ सुरक्षा करते समय अपने घर-गृहस्थी के विषय में न सोच कर केवल देश हित का ही सोचते हैं। परंतु दुख की बात यह है की समाज में कुछ लोग ऐसे भी है जो इन देश-प्रेमियों का उपहास करते हैं। ये उपहास करने वाले लोग बहुत ही स्वार्थी होते है और सदैव अपने ही हित का सोचते हैं। 

पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

क़स्बा में चौराहे के पास एक पानवाला अपनी पान की दुकान लगता था। पानवाले का रंग काला और शरीर मोटा था। इसका स्वभाव बहुत ही खुशमिजाज़ था। जो भी उसकी दुकान पर आता वह उसे बड़े ही प्यार से पान बना कर देता और बातें भी करता। उसे पान खाना तो इतना पसंद था की वह दिन भर अपने मुँह में पान भरा रहता था। जब भी कोई उसके पास बात करने को जाता तो पहले वह पीछे घूम कर मुँह का पान थूकता और फिर बातें करता। अत्यधिक पान खाने के कारण उसके दाँत काले-पीले और होंठ लाल तो कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। 

. "वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!" कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

हालदार साहब द्वारा कैप्टन के बारे में पूछे जाने पर पान वाले ने कहा कि वह लंगड़ा फ़ौज में क्या जाएगा, वह तो पागल है, पागल। कैप्टन चश्मेवाला शारीरिक रूप से अयोग्य था और इस कारण से फ़ौज मैं नहीं जा सकता था परंतु वह एक देश-प्रेमी था जिसे क़स्बे के चौराहे पर लगी नेताजी की मूर्ति बगैर चश्मे के बुरी लगती थी। बल्कि ऐसा कहूँ की आहात करती थी, मानो चश्मे के बेगैर नेताजी को असुविधा हो रही हो। वह अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी के मूर्ति पर फिट कर आता था। हालदार साहब, कैप्टन चश्मेवाला की देश-भक्ति से बहुत प्रभावित थे और इसी कारण से पानवाले ने जब कैप्टन चश्मेवाला का उपहास किया तो यह उन्हे पसंद नहीं आया।

निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रूकते और नेताजी को निहारते।

कैप्टन के समान ही हालदार साहब के मन में भी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति एक सम्मान की भावना थी। कैप्टन द्वारा नेताजी की मूर्ति को पहनाए गए चश्मे को देख कर हालदार साहब बहुत खुश होते और थोड़ी देर वहीं क़स्बे के चौराहे पर रुक कर मूर्ति को निहारते रहते। इस प्रकार प्रस्तुत वाक्य हालदार साहब का सेनानियों के प्रति सम्मान को प्रकट कर रहा है और चश्माविहीन नेताजी की मूर्ति को देखकर आहत होना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। 

निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।

हालदार साहब ने जब पानवाले से कैप्टन के विषय में पूछा तो पानवाला बहुत ही उदास हो गया। उसने अपने धोती के एक सिरे से आंखों से बहते आंसुओं को पोछा और बड़े ही उदास मन से जवाब दिया, साहब! कैप्टन गया। कैप्टन की देशभक्ति व देश-प्रेम से पानवाला भी बहुत प्रभावित था और कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से बहुत ही दुखी था।

निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

चश्मेवाले के देश-प्रेम को देख कर लोग उसे कैप्टन चश्मेवाला कह कर पुकारा करते थे। वह नेताजी की मूर्ति को बार-बार चश्मा पहनाकर देश के प्रति अपनी अपार श्रद्धा को प्रकट करता था। कैप्टन को नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। इसके लिए वह रोज़ अपनी दुकान से एक फ्रेम लेकर नेताजी की मूर्ति पर लगा आता ताकि नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा न दिखे।

जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

कैप्टन रोज़ अपने चश्में की दुकान से एक चश्मा ले जाकर नेताजी के मूर्ति पर लगा आता। उसे नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के आघात करतीं। उसको ऐसा लगता की मूर्ति उसे देखकर बिना चश्मे रहने पर अपनी कोई असुविधा प्रकट कर रही है। कैप्टन का ऐसा देश-प्रेम देख कर हालदार साहब को यहीं लगता था की कैप्टन एक लंबे कदवाला मजबूत कद-काठी वाला हट्टा-कट्टा फ़ौजी होगा।

कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्तियाँ प्रायः 

-चौराहों,कस्बों, महानगरों या शहरों में लगाई जातीं हैं जिनके प्रमुख उद्देश्य निमन्वत्त है:

-समाज के लोगों को उन प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्यों का ज्ञान हो।

-समाज के लोगों उन प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरित हो और उनके दिखाये गए मार्ग का अनुसरण करें।

-समाज में आने वाली नई पीढ़ियाँ उन प्रसिद्ध व्यक्तियों के बलिदानों को याद रख उन्हें सम्मान दे। 

कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?

समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्तियाँ प्रायः चौराहों,कस्बों, महानगरों या शहरों में लगाई जातीं हैं जिनके उद्देश्य निमन्वत्त है:

समाज के लोगों को उन प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्यों का ज्ञान हो।

समाज के लोगों उन प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरित हो और उनके दिखाये गए मार्ग का अनुसरण करें।

समाज में आने वाली नई पीढ़ियाँ उन प्रसिद्ध व्यक्तियों के बलिदानों को याद रख उन्हें सम्मान दे। 

कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्तियाँ प्रायः चौराहों,कस्बों, महानगरों या शहरों में लगाई जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके संघर्षों व बालिदान को सदैव याद रखें। लगाए गए प्रतिमाओं के प्रति समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को सहज रहना चाहिए और नियमित रूप से उसकी साफ-सफाई कराया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उस मूर्ति के सामने वर्ष में एक साहित्यिक कार्यक्रम अवश्य कराया जाना चाहिए और उस व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों की वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हुए उनसे प्रेरणा लिया जाना चाहिए। 

सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

देश के प्रति अपना देश-प्रेम दिखाने के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं है। यह केवल व्यक्तिविशेष मन की धारणा है कि उसे देश के प्रति अपना प्रेम दिखने के लिए फ़ौज में कार्यरत होना पड़ेगा। निमन्वत्त कार्यों को कर के व्यक्ति देश के प्रति अपने देश प्रेम को दिखा सकता है-

सरकारी संपत्ति को क्षति न पहुँचाना, पर्यावरण तथा अपने आसपास की सफ़ाई रखना,बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मदद करना, अधिकाधिक वृक्ष लगाना, वर्षा जल का संरक्षण व पानी के स्रोतों को दूषित होने से बचाना, बिजली की बचत करना, कूड़ा इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में ही डालना, शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति सम्मान रखना आदि।

निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-

कोई गिराक आ गया समझो|उसको चौड़े चौखट चाहिए|तो कैप्टन किधर से लाएगा?तो उसको मूर्तिवाला दे दिया|उदर दूसरा बैठा दिया|

प्रस्तुत पंक्तियों में स्थानीय भाषा का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इन पंक्तियों को एक व्यंगात्मक रूप देकर मानक हिन्दी में लिखा जाएगा, “मान लो यदि कोई ग्राहक आ गया, उसको चौड़ा फ्रेम लेना है, तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो कैप्टन उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे देगा और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देगा”।यह पंक्ति कैप्टन के व्यंग चरित्र को प्रस्तुत करना चाहती हैं l

निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है,निपात कहलाता है। उदाहरण के लिए: भी, तो, तक,केवल, ही, मात्र आदि।

निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है,निपात कहलाता है। उदाहरण के लिए: भी, तो, तक,केवल, ही, मात्र आदि। प्रस्तुत वाक्य,किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा, में निपात है “ही”। नया वाक्य: उसे दिनभर खेलना ही अच्छा लगता है। 

निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।

यह पाठ देशभक्ति की भावना से भरपूर एक भावपूर्ण कहानी है,जिसमें देश के नागरिकों को विकास के कार्य करने तथा देशभक्ति एवं देश-प्रेम भावना को प्रगाढ़ करने की प्रेरणा दी गई है। इस पाठ में लेखक, स्वयं प्रकाश, एक कैप्टन चश्मेवाले नाम के व्यक्ति को संदर्भित किया है, जो देश के प्रति अपनी देश भक्ति को अलग-अलग प्रकार से प्रकट करता है। लेखक, कैप्टन चश्मेवाले के माध्यम से देश के समस्त नागरिकों को यह बताना चाहते हैं कि समाज के लोग किस प्रकार से देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग कर सकते हैं।किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है,निपात कहलाता है। उदाहरण के लिए: भी, तो, तक,केवल, ही, मात्र आदि

निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-


घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।


यह पाठ देशभक्ति की भावना से भरपूर एक भावपूर्ण कहानी है,जिसमें देश के नागरिकों को विकास के कार्य करने तथा देशभक्ति एवं देश-प्रेम भावना को प्रगाढ़ करने की प्रेरणा दी गई है। इस पाठ में लेखक, स्वयं प्रकाश, एक कैप्टन चश्मेवाले नाम के व्यक्ति को संदर्भित किया है, जो देश के प्रति अपनी देश भक्ति को अलग-अलग प्रकार से प्रकट करता है। लेखक, कैप्टन चश्मेवाले के माध्यम से देश के समस्त नागरिकों को यह बताना चाहते हैं कि समाज के लोग किस प्रकार से देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग कर सकते हैं।किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है,निपात कहलाता है। उदाहरण के लिए: भी, तो, तक,केवल, ही, मात्र आदि।

निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

 (ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है,निपात कहलाता है। उदाहरण के लिए: भी, तो, तक,केवल, ही, मात्र आदि।प्रस्तुत वाक्य,दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे, में निपात है “तक”।नया वाक्य: वह चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही। 

 ' भई खूब! क्या आइडिया है।' इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

भारत में विविध प्रकार की भाषाएँ बोलीं जाती हैं। साथ ही आज के समय में सिर्फ एक भाषा के इस्तेमाल से व्यक्ति अपने भावों को दूसरों के सामने प्रकट कर ही नहीं सकता।जैसे मान लो अगर कोई व्यक्ति शुद्ध हिन्दी में बात करता है तो यह आवश्यक नहीं की सामने वाले व्यक्ति को बोले गए सभी हिन्दी शब्दों का अर्थ पता हो। 

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।

जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया।

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।

जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया।

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।


जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया।

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(घ) ड्राइवर ने ज्ञोर से ब्रेक मारे।


जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया।

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।


जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया

निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।


जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा संबंध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है, कर्मवाच्य कहलाता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता गौण और कर्म प्रधान होता है। उदाहरण के लिए: मुझसे पत्र लिखा गया।

नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-

जैसे-अब चलते हैं। -अब चला जाए।

(क) माँ बैठ नहीं सकती।

प्रस्तुत वाक्य: माँ बैठ नहीं सकती। 

भाववाच्य: माँ से बैठा ही नहीं जाता। 

नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-

ख) मैं देख नहीं सकती।


प्रस्तुत वाक्य: मैं देख नहीं सकती। 

भाववाच्य: मुझसे देखा ही नहीं जाता।

नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-

(ग) चलो, अब सोते हैं।


प्रस्तुत वाक्य: चलो, अब सोते है।

भाववाच्य: चलिए अब सोया जाए। 

नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-

(घ) माँ रो भी नहीं सकती।


प्रस्तुत वाक्य: माँ रो भी नहीं सकती। 

भाववाच्य: माँ से रोया भी नहीं जाता।