मानवीय करूणा की दिव्य चमक

Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kshitij's Chapter 1 "Sarveshwar Dayal Saxena". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

जिस प्रकार देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा व छायादार होता है और अपनी छाया से लोगों को शीतलता पहुंचाता है उसी प्रकार फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा से ओतप्रोत विशाल ह्रदय वाले व्यक्ति थे।वह अपनी शरण में आए सभी हताश न निराश लोगों को आश्रय देते और अपने स्नेह से उन्हें राहत पहुँचाते थे।

फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, इसे निम्नलिखित आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-

  • फ़ादर बुल्के बेल्जियम के रेम्सचैपल के रहने वाले थे और भारत आकार उन्होने हिंदी में बी.ए., इलाहाबाद से एम.ए. किया था।
  • उन्होंने ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग से “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” पर शोध कर पी.एच.डी की उपाधि हासिल की।
  • फ़ादर बुल्के ने ‘ब्लू बर्ड’ और 'बाइबिल' का हिंदी अनुवाद किया तथा अपना अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया।
  • फादर बुल्के ने हिंदी भाषा के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किये हैं और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए अनगिनत कार्य किये हैं।

पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है।

पाठ में आए निम्नलिखित प्रसंगों से फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है-

  • फ़ादर बुल्के बेल्जियम के रेम्सचैपल के रहने वाले थे और भारत आकार उन्होने हिंदी में बी.ए., इलाहाबाद से एम.ए. किया था।
  • उन्होंने ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग से “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” पर शोध कर पी.एच.डी की उपाधि हासिल की।
  • फ़ादर बुल्के ने ‘ब्लू बर्ड’ और 'बाइबिल' का हिंदी अनुवाद किया तथा अपना अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया।
  • फादर बुल्के ने हिंदी भाषा के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किये हैं और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए अनगिनत कार्य किये हैं।

इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

फ़ादर कामिल बुल्के फ़ादर कामिल बुल्के का रंग गोरा, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी व नीली आँखे और शरीर लंबी पादरी के चोंगे से ढ़का हुआ था। उनकी उपस्थिति देवदार के वृक्ष के समान शीतलता प्रदान करने वाली थी। उनका व्यक्तित्व बिल्कुल सात्विक था और ईश्वर के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। लेखक के अनुसार उनसे रिश्ता जोड़ने के बाद बड़े भाई के अपनत्व , ममता और आशीर्वाद की कभी कमी नहीं होती थी।वे हिन्दी व साहित्य के  प्रेमी थे और उन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनवाने में बहुत योगदान दिया। फ़ादर बुल्के ज्ञान के भण्डार एवं भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा साफ़ झलकती थी। अंततः हम कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के ज्ञानी के साथ मानवीयता की मूरत भी हैं।

लेखक ने फ़ादर बुल्के को ' मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है?

लेखक ने फ़ादर बुल्के को ' मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहा है क्योंकि वह सदैव दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे। सम एवं विषम, दोनों प्रकार की परिस्थितियों में भी वह एक समान रहते थे और उनके चेहरे पर एक मंद मुस्कान हमेशा ही झलकती रहती थी। वह दु:ख से विरक्त लोगों को सांत्वना के दो बोल बोलकर शीतलता प्रदान करते थे। 

फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

उनका शरीर लंबी पादरी के चोंगे से ढ़का हुआ, रंग गोरा, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी व नीली आँखे थी। फादर बुल्के की छवि परम्परागत सन्यासियों से बिलकुल अलग थी।सन्यास ग्रहण करने के पश्चात् भी फ़ादर बुल्के ने अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखा था।लोगों को उनकी जब भी आवश्यकता मालूम पड़ती, वह बिना किसी देरी के अपनी सहायता देने पहुँच जाते थे। सन्यास लेने के बाद भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा और कुछ दिनों तक काॅलेज में भी पढ़ाते रहे और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। उनका व्यक्तित्व बिल्कुल सात्विक था। वह किसी भी प्रकार का दिखावा नहीं करते थे।

 आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) नम आखों को गिनना स्याही फैलाना है।

(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

(क) फ़ादर बुल्के सम एवं विषम, दोनों प्रकार की परिस्थितियों में एक समान रहने की प्रेरणा देते थे और उनके चेहरे पर एक मंद मुस्कान हमेशा ही झलकती रहती थी। वह सदैव दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे।लोगों को उनकी जब भी आवश्यकता मालूम पड़ती, वह बिना किसी देरी के अपनी सहायता देने पहुँच जाते थे।फ़ादर बुल्के की  मृत्यु हो जाने पर उनके लिए आँसू बहाने वालों की संख्या इतनी अधिक थी की उसे गिनना असंभव था। इसीलिए लेखक ने कहा है की उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए असंख्य लोगों की नम आंखों को गिनना स्याही फैलाने जैसा है। 

(ख) फ़ादर बुल्के सम एवं विषम, दोनों प्रकार की परिस्थितियों में एक समान रहने की प्रेरणा देते थे और उनके चेहरे पर एक मंद मुस्कान हमेशा ही झलकती रहती थी। जिस प्रकार एक उदास शांत संगीत को सुनते समय मन शांत हो जाता है और वातावरण में एक अजीब शांति छा जाती है साथ ही आँखें स्वतः नम हो जाती हैं, ठीक वैसी ही दशा उनकी होती है जब वह फ़ादर बुल्के की कही बातों को याद करते है । 

आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?

फ़ादर बुल्के का जन्म भले ही बेल्ज़ियम में हुआ हो परन्तु उनके मन में हिंदी भाषा के प्रति अगाध प्रेम था। उन्होंने भारत के प्राचीन और गौरवपूर्ण इतिहास से जानकारी लेकर यहाँ की संस्कृति और सभ्यता से प्रभावित होकर भारत आने का मन बनाया होगा। जब वे बेल्ज़ियम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में थे तो उनके मन में सन्यासी बनने की इच्छा जाग उठी और भारत प्राचीन काल से ही सन्यासियों, परोपकारियों एवं अनेक धर्मों, रंगों, रीति रिवाजों को स्वयं में समेटे 'वसुधैव कुटुंबकम्' की संस्कृति को आगे लेकर चलती है। इससे बेहतर स्थान उनके लिए कैसे हो सकता था इसलिए फ़ादर कामिल बुल्के ने भारत आने क मन बनाया होगा।

 'बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल।'-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं ? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?

बहुत सुन्दर है मेरी जन्म भूमि- रैम्सचैपल’ इस पंक्ति से फ़ादर बुल्के का अपनी जन्मभूमि के प्रति अगाध प्रेम एवं श्रद्धा नज़र आती है।इस पंक्ति से प्रकट होता है कि फ़ादर बुल्के ने अपने सन्यासी जीवन के लिए भले ही कर्मभूमि भारत को बनाया किंतु उनका अपनी जन्मभूमि के प्रति सम्मान, समर्पण, स्नेह मरते वक्त तक भी कम नहीं हुआ। मुझे भी अपनी जन्मभूमि से अथाह प्रेम है जो स्वयं में अनेको रंगों को समेटे हुए है।

मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।

भारत एक सांस्कृतिक और भौगोलिक विवधताओं वाला धनधान्य से समृद्ध देश है जहाँ सभी धर्मों के लोग आपस में बड़े ही प्रेम भाव के साथ रहते हैं। भारत प्राचीन काल से ही सन्यासियों, परोपकारियों एवं अनेक धर्मों, रंगों, रीति रिवाजों को स्वयं में समेटे 'वसुधैव कुटुंबकम्' की संस्कृति को आगे लेकर चलती है।भारत का इतिहास जितना ही समृद्ध और गौरवशाली है उतना ही गौरवान्वित उसका वर्तमान भी है।

भारत के उत्तर में अडिग विशाल हिमालय है तो दक्षिण मेरे गरजती लहरों के साथ हिन्द महासागर, पुर्व में बंगाल की खाड़ी तो पश्चिम में लहराता अरब सागर है। प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। अनेकों शासक आए जिन्होंने भारत पर शासन किया और भारत को खंडित करना चाहा किंतु मुगलों और अंग्रेजों के अत्याचारों और कूटनीति नीतियों के बाद भी भारत अखंड है। यहां अनेक धर्मों के लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैन, बौद्ध साथ मिलकर रहते हैं ना केवल धर्मों के अनेक प्रकार की बोलियों भाषाओं एवं अनेक प्रकार के रीति रिवाज वाले लोग साथ मिलकर रहते हैं। आज भारत अनेक ऊंचाइयों को छुआ है यह एक विकासशील राष्ट्र है। जो दिन-प्रतिदिन सफलता की ऊंचाइयों को छू रहा है। वर्ष 2023 में भारत को जी-20 की प्रेसिडेंसी भी मिली जिससे भारत आत्मनिर्भर हो रहा है ना सिर्फ आत्मनिर्भर अपितु अन्य देशों के बीच भी अपनी पैठ बना रहा है।भारत की शोभा निराली है। यहाँ गर्मी, सर्दी, बसन्त, पतझड़ सभी ऋतु समय समय आती रहती हैं। यहाँ कश्मीर की सुन्दरवादियाँ हैं तो राजस्थान का विशाल रेगिस्तान भी है।यह वह देश है जहाँ गंगा, यमुना, सतलुज, व्यास, कृष्णा, कावेरी निरन्तर अपने जल से सारे भू भाग को सींचती रहती हैं। भारत का आधे से ज्यादा व्यापार कृषि पर निर्भर है।साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में यहां अनेक महान लोगों ने जन्म लिया। अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है और मुझे गर्व है कि मैं एक भारतवासी हूं।

आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।

अपना पता-अ ब स 

दिनांक – २ मार्च २०२३

प्रिय मित्र क ख ग

सप्रेम!

कैसे हो तुम? हम सब यहाँ मजे में है। और आशा करता हूँ कि आप सब भी वहां हडसन एन्ड्री ऑस्ट्रेलिया में मंगल से होंगे और यह पत्र पाकर अचम्भित हुए होगे। तुम्हारी गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होने वाली होंगी। मैं चाहता हूँ कि, इस बार क्यों न तुम मेरे यहाँ कुछ दिन गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने आओ। तुम तो जानते ही हो की हिमाचल की वादियाँ कितनी सुन्दर हैं और यहाँ का मौसम गर्मी में भी बड़ा ही सुहावना होता है। यहाँ बहुत से पर्यटन स्थल हैं। हम मण्डी , धर्मशाला , कांगड़ा भी घूमने चलेंगे। बड़ा मजा आएगा। साथ ही साथ हम लोग ट्रैकिंग पर भी चलेंगे।वैसे भी तुम्हारा बड़े दिनों से मन कर रहा था न यहां घूमने का।

यदि तुम कुछ दिनों के लिए यहाँ आओगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी और मां पापा भी कह रहे हैं कि बहुत दिनों से तुमसे मुलाकात नहीं हुई है। 

चाचा और चाची को मेरा नमस्कार कहना और छोटू को ढेर सारा प्यार।

तुम्हारा मित्र

क ख ग (आपका नाम)

निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोधक छाँटकर अलग लिखिए-

(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।

(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।

(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।

(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।

(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।


किन्हीं दो शब्दों अथवा वाक्यों को जोड़ने वाले अव्यय शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। 

(क) समुच्चयबोधक अव्यय “और” है।

(ख) समुच्चयबोधक अव्यय “कि” है।

(ग) समुच्चयबोधक अव्यय “तो” है।

(घ) समुच्चयबोधक अव्यय “जो” है।

(ङ)समुच्चयबोधक अव्यय “लेकिन” है।