Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kshitij's Chapter 11 "Balgobin Bhagat". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

बालगोबिन भगत एक गृहस्थ व्यक्ति थे। उनके स्वभाव व रहन सहन के कारण लोग उनको एक साधु समझते थे। वह हमेशा सुर में कबीर जी के दोहे गाया करते थे। वह हमेशा अपने ललाट पर चंदन का तिलक लगाते थे और गर्दन पर हमेशा तुलसी की माला पहना करते थे जिसके कारण लोग उन्हें साधु समझते थे।

भगत की पुत्रवधु उन्हे अकेले क्यों नही छोड़ना चाहती थी?

भगत की देख-रेख करने के लिए उनकी पुत्रवधू उनको अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी उन्हे लगता इस बुढ़ापे में उनकी सेवा कौन करेगा उन्हें खाना बना कर कौन खिलायेगा , अगर वो कभी बीमार पड़ गए तो उनकी देख रेख कौन करेगा ? इन्ही सब बातो को सोच कर वह उन्हें छोड़ना नहीं चाहती थी l

भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की?

भगत ने शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता के भाव को प्रदर्शित कर अपने बेटे के मृत्यु पर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आत्मा का मिलन अब परमात्मा से हो गया हैं एक विरहिन अपने प्रेमी यानि प्रभु से जा मिली हैं l अब इससे ज्यादा आनंदमय समय क्या होगा l

भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने  शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

भगत एक गृहस्थ व्यक्ति थे परंतु अपने स्वभाव, वेषभूषा व रहन-सहन के कारण साधू कहे जाते थे। उनके पहनावे में कमर पर मात्र एक लगोंटी कि तरह धोती और कान तक ढकने वाली टोपी होती थी l इसके अलावा वो अपने मस्तक पर चन्दन तिलक लगाते थे और गले में तुलसी माला पहनते थे l

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण इसलिए थी कि वे अपने नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। वे सुबह मुँह अँधेरे उठते, गाँव से दो मील दूर नदी पर स्नान के लिए जाते थे। वापसी में पोखर के ऊँचे स्थान पर खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते थे। यह नियम न सर्दी देखता और न ही गर्मी। वे बिना पूछे न ही किसी की वस्तु छूते और न ही व्यवहार में लाते थे। कई बार तो वे अपने नियमों पर इतने दृढ़ हो जाते कि शौच के लिए भी दूसरों के खेतों का प्रयोग नहीं करते थे। उनकी नियमों पर दृढ़ता ही लोगों के आश्चर्य का कारण बनती थी।


पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के गायन की विशेषताएं लिखिए।

भगत गीतों को बहुत ही मन से और स्वर में गाते थे। उनके गीत का मनमोहक प्रभाव सम्पूर्ण वातावरण में छा जाता था। सभी उनके गीतों को सुन कर मतवाले हो जाते थे और उनके सुर में अपना सुर भी मिलाने लगते थे l उनकी वाणी का मिठास सब के मन को प्रफुल्लित कर देता था l

कुछ मार्मिक प्रसंगों मके आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक सांस्कृतिक मान्यताओं को नहीं मानते थे । पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं के समर्थक नहीं थे अपितु वह अपने स्वार्थ की अपेक्षा न कर के सदैव दूसरों का ही हित सोचते थे। वह समाज में स्त्रियों और पुरुषो में भेद नहीं समझते थेl वह पुनः विवाह के समर्थक थे l उन्होंने ने अपने बेटे कि मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से दिलवाई l

धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियां किस तरह चमत्कृत कर देती थी? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।

अषाढ़ की रिमझिम बारिश में बाल गोबिन जी धान के रोपाई करते हुए ऊँचे और मधुर स्वर में गीत गाने लगते जिसे सुनकर बच्चे धान के पानी भरे खतों में उछलने लगते। इस प्रकार सारे गाँव का परिवेश उल्लास से भर जाता।

पाठ के आधार पर बताए कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन किन रूपो में प्रकट हुई है 

बालगोबिन भगत भी कबीर जी की भांति गृहस्थ होकर भी सांसारिक मोह माया से मुक्त थे और पहनावे में वे कबीर जी का ही अनुशरण करते थे। बालगोबिन भगत जी भी कबीर की भांति गाँव–गाँव , गली-गली घूमकर भजन गाते थे। वो अपने गायन से लोगों मंत्रमुग्ध कर देते थे l

आपकी दृष्टी में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होगे।

बालगोबिन भगत जी का कबीर पर अगाध श्रद्धा थी कबीर जी का सादा जीवन, समाजिक कुरीतियों का घोर विरोध,आडम्बरों को न मानना व कबीर का ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम और ईश्वर को ही समर्पित मधुर गीतों की रचना करना था। वह समाज में फैले कुप्रथाओं का विरोध अपने दोहों के द्वरा करते थे l

गांव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता था?

अषाढ़ की रिमझिम बारिश में बाल गोबिन जी धान के रोपाई करते हुए ऊँचे और मधुर स्वर में गीत गाने लगते जिसे सुनकर बच्चे धान के पानी भरे खतों में उछलने लगते। इस प्रकार सारे गाँव का परिवेश उल्लास से भर जाता।

"ऊपर की तस्वीर से यह नही माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।" क्या साधु कि पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति साधु है।

किसी साधु की पहचान उसके पहनावे से नहीं बल्कि उसके व्यहार और जीवन शैली से होनी चाहिए। एक साधु को सदैव सत्य बोलना चाहिए।एक साधू का जीवन सात्विक और लोक कल्याणकारी कार्यों को समर्पित होना चाहिए। एक सच्चे साधु का उसके ईश्वर के प्रति सच्चा और प्रगाढ प्रेम सदैव उसके मन में होता है।

मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर यह कथन सच सिद्ध करेंगे?

बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधूके हितों को देहते हुए और उसके भविष्य कि चिंता करते हुए उसके प्रति अपने सच्चे प्रेम कि भावना को दर्शाया है। मोह में व्यक्ति केवल खुद के स्वार्थ और हित की चिंता करता है जबकि प्रेम में व्यक्ति अपने प्रियजनों का हित देखता है।

इस पाठ में आए कोई दस क्रिया विशेषण छाटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।

दस क्रिया विशेषण:

वाक्य: उस दिन भी संध्या में गीत गाए। क्रियाविशेषण: उस दिन भी संध्या , भेद: कालवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: इन दिनों सवेटे ही उठते थे। क्रियाविशेषण: सवेरे ही , भेद: कालवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: कपडे बिल्कुल कम पहनते थे। क्रियाविशेषण: बिल्कुल कम , भेद: परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: हरवर्ष गंगा स्नान करने के लिए जाते। क्रियाविशेषण: हरवर्ष , भेद: कालवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: हँसकर टाल देते थे। क्रियाविशेषण: हँसकर, भेद: रीतिवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगा। क्रियाविशेषण: धीरे-धीरे, भेद: रीतिवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य:वे दिन-दिन छिजने लगे। क्रियाविशेषण: दिन-दिन, भेद: कालवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: वह जब-जब सामने आता। क्रियाविशेषण: जब-जब ,भेद: कालवाचक क्रियाविशेष 

वाक्य:थोडा - थोडा बुखार आने लगा। क्रियाविशेषण: थोडा - थोडा, भेद: परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

वाक्य: जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। क्रियाविशेषण: जमीन पर, भेद: स्थानवाचक क्रियाविशेषण