Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kshitij's Chapter 3 "Dev". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!

 कवि ने ' श्रीब्रजदूलह ' किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?

कवि ने श्री कृष्ण को ‘श्रीब्रजदूलह’ इसलिए कहकर सम्बोधित किया है क्योंकि श्रीकृष्ण को संसार रूपी मंदिर दीपक बताया है क्योंकि जैसे एक दीपक मंदिर को अपने प्रकाश से भर देता है। ठीक उसी प्रकार कृष्ण भी अपनी लीलाओं और कलाओं से संपूर्ण जगत को प्रभावित किया करते है और उसके प्रकाशमय कर देते हैं।

पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?

अनुप्रास अलंकार: जब कहीं पर व्यंजन वर्ण की आवृत्ति बार-बार हो तो वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता है।

रुपक अलंकार: जहाँ पर उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

पहले सवैये की पंक्तियाँ जिनमें अनुप्रास अलंकार हैं-

(क) “कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।“ – वर्ण ‘क’ की आवृति।

“साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।“- वर्ण ‘क’ और ‘ह’ की आवृति एक बार से अधिक है।

पहले सवैये की पंक्तियाँ जिसमें रूपक अलंकार है:

(ख) “मंद हँसी मुखचंद जुंहाई, जय जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।“ – चन्द्रमा सा मुख और संसार रूपी दीपक, यहाँ कृष्ण के मुख को चाँद और दीपक बता दिया गया है इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किकिनि कै धुनि की मधुराई। साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।

इन पंक्तियों में श्रीकृष्ण के अंगो, आभूषणों, और रूप का सुंदर चित्रण हुआ है। उनके बारे में कहा गया है की उनके पांवों के पायल और कमर की करधनी से मधुर ध्वनि निकल रही है। उनके सांवले रंग पर पीले रंग के वस्त्र सुशोभित हो रहे।तथा गले में पहनी गयी बनमाला उनके सुन्दरता को चार चाँद लगा रही है।

इन पंक्तियों में शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा का उपयोग किया गया है।

दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।

कवि साधारण रूप में बसंत का वर्णन ऋतु परिवर्तन के वर्णन में करते हैं। जैसे कि रंग बिरंगे फूल, हरियाली, नायक नायिकाओं के झुला झूलने आदि परंतु इस कविता में वसंत को एक बालक के रूप में दर्शाया गया है जो की कामदेव का पुत्र है। कवि कहते हैं कि प्रकृति उसके साथ ऐसे व्यवहार कर रही, जैसे वह नवजात बच्चा है।

 ' प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दे'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

कवि कहते हैं कि जब सुबह-सुबह गुलाब की कलियाँ खिलती हैं, तब ‘चट’ की ध्वनि निकलती है। उन्होंने इसका प्रयोग करते हुए फूलों की सहायता से बसंत रूपी बालक को जगाने की बात कही है। देवी जी चुटकी बजाकर बसंत रूपी बालक को जगाने का प्रयत्न कर रही हों।

चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?

चाँदनी रात की सुंदरता को दूध के झाग के कालीन के समान बताया है रात्रि के समय चाँदनी धरती पर ऐसे फैली हुई है जैसे दूध के झाग की कालीन हो, चाँदनी को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है की मानो कोई स्वच्छ निर्मल दर्पण हो, दही के समुद्र और मल्लिका फूलों से सुशोभित और आसमान में चारों ओर फैली चाँदनी पारदर्शी पत्थरों से बने मंदिर के जैसे प्रतीत होती है।

 'प्यारी राधिका को प्रतिबिब सो लगत चंद'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?

 इस पाठ में प्रकृति के सौन्दर्य को अपने काव्य कुशलता से निखार कर दिया है। चाँद, तारे और कृष्ण के रूप को खुबसूरत रुप से अभिव्यक्त के लिए कवि ने आलंकारिक चित्रण का भी उपयोग किया है। कवि को चाँद राधा की प्रतिबिंब माफिक लग रहा है। यहाँ पर कवि ने पंक्तियों में व्यतिरेक अलंकार का प्रयोग किया है क्योंकि यहाँ चाँद को राधा की प्रतिबिम्ब माना गया है न की राधा। इस से साफ प्रतीत होता हैं की चाँद को राधा से नीचे दर्जे बताया और दिखाया गया है।

तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?

चाँदनी रात की उज्ज्वलता के वर्णन के लिए फटिक सिलानि, दही का सागर, दूध की झाग से बना कालीन, सुधा मंदिर, दर्पण आदि उपमानों का प्रयोग किया है। 

कवि को ही नहीं बल्कि रात की चाँदनी लगभग सभी व्यक्तियों आकर्षित करती है। उसके चांदनी में सागर की लहरें हिलौरें ले रही हैं इस चाँदनी में राधा की झलक दिख रही है।

पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।

कवि देव रितिकाल के कवि हैं उनके काव्य की पाठ की भाषा ब्रज भाषा होने की वजह से, इसमें कोमलता और मधुरता पूर्ण रूप से झलकता है। अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग सवैयों को लय प्रदान किया है। शब्दों का तत्सम रूप काव्य की शोभा बढ़ा देता हैं। प्रकृति का सजीव चित्रण खुबसूरत तरीके से किया गया है।

आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।

पूर्णिमा की रात में चंद्रमा बहुत निराला होता है। बड़े थाल से गोल आकार वाला चाँद उस रात अपनी शीतल चाँदनी से सबको लुभा देता है। उस समय ऐसी चाँदनी सफ़ेद चादर सी पुरे आसमान से फ़ैल जाती है। चाँद की उज्ज्वल चमक से रात के सौंदर्य में ताल-सरोवर और पेड़ों की खूबसूरती बहुत सुंदर लगती है।