Welcome to our comprehensive guide on Class 10 Hindi Kshitij's Chapter 4 "Jaishankar Prasad". This guide is designed to assist students by providing a curated list of Question and Answers in line with the NCERT guidelines. These are targeted to help enhance your understanding of the subject matter, equipping you with the knowledge needed to excel in your examinations. Our meticulously crafted answers will ensure your conceptual clarity, paving the way for your successful academic journey. Let's get started!
कवि आत्मकथा लिखने से क्यो बचना चाहता है?
कवि के साधारण जीवन में बहुत ही कठिनाइयाँ आती रहती है। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके जीवन में ऐसी कोई महत्वपूर्ण घटना नहीं हुई है जिसे पढ़कर दूसरों को सुख मिले। उनकी सरलता के कारण उन्होंने जीवन में बहुत धोखा खाया है। इस कारण वह अपना आत्मकथा लिखने से कतरा रहे हैं।
आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है?
इस कविता के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि कवि जयशंकर प्रसाद बहुत सरल व्यक्ति थे। कवि आत्मकथा सुनाने से संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' इसलिए कहते क्योंकि अभी तक उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कोई महान कार्य नहीं किया है जिसका वर्णन वह अपनी आत्मकथा में कर सकें या उनके जीवन में काफी उथल-पुथल हो चुके हैं। अपनी व्यथा को वह आत्मकथा में लेकर दुनिया को नहीं बताना चाहते।
स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है?
स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का मतलब है कि जिस तरह एक पथिक (राही) को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए एक मार्गदर्शक की जरूरत पड़ती है उसी प्रकार अच्छी स्मृतियां जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि कहते हैं कि उन्होंने अपनी दुख भरी जीवन यात्रा में अच्छी व मधुर स्मृतियों को मन में संजोकर रखा है ताकि वह जीवन बिताने के लिए मार्गदर्शक बन सके। कवि इन सुखद स्मृतियों को दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करना चाहते
भाव स्पष्ट काजए-
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि उन्हें अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने की उम्मीद थी परंतु वह उन्हें प्राप्त नहीं हुआ। उनके जीवन में खुशी के पल आने से रह गए। इस कारण उनके पास कोई भी सफलता या रोचक गाथा नहीं थी जिसका वर्णन वह कर सकें।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने दर्शाया है कि उनके जीवन में एक प्रेमिका थी जो उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देती थी। उनके गालों पर सूर्य के भांति एक लालिमा थी, जो हर सुबह उन्हें सफलता की ओर ले जाती थी। अपनी सफलता के लिए उन्होंने प्रेम को महत्व दिया है।
'उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की'-कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कभी दर्शाते हैं कि वह अपनी प्रेमिका के साथ बिताया हुआ पल किसी के सामने दिखाना नहीं चाहते। चांदनी रात में बिताया हुआ पल उनका निजी पल है इसलिए वह सब को यह आत्म कथा के माध्यम से सुना कर उसका मजाक नहीं बनाना चाहते और स्वयं तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएं उदाहरण सहित लिखिए।
'आत्मकथ्य’ एक छायावादी कविता है जिसके काव्य भाषा की विशेषताएं निम्नलिखित है-
(क) खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण- ‘जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।‘
(ख) तत्सम शब्दों का प्रयोग बहुत किया गया हैं।
उदाहरण- ‘इस गंभीर अनंत – नीलिमा में असंख्य जीवन – इतिहास’
(ग) कविता में गेय और छन्दबद्ध है।
उदाहरण- ‘उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।‘
(घ) इसमें गागर रीति आदि प्रतीकों का भी उपयोग किया गया है।
कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
कवि ने सुख के स्वप्न के रूप में अपनी प्रेमिका को देखा था। वो कहते हैं कि उनके गालों की लालिमा के सामने सूर्य की लालिमा भी फीकी पड़ जाती है। अपनी प्रेमिका की मुस्कान को उन्होंने स्मृति के तौर पर दर्शाया है।
कवि ने सुख के स्वप्न के रूप में अपनी प्रेमिका को देखा था। वो कहते हैं कि उनके गालों की लालिमा के सामने सूर्य की लालिमा भी फीकी पड़ जाती है। अपनी प्रेमिका की मुस्कान को उन्होंने स्मृति के तौर पर दर्शाया है।
प्रस्तुत कविता “आत्मकथ्य” जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है। अपने जीवन में कई बार धोखा खाने के बावजूद उन्होंने अपनी सहजता को त्याग नहीं किया। अपनी दुख और कमजोरी को किसी के सामने दर्शाया नहीं क्योंकि वह हंसी का पात्र नहीं बनना चाहते थे। इस कारण उनकी व्यथा उन्होंने स्वयं तक सीमित रखा।
आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों ?
हमें महात्मा गाँधी, भगत सिंह और महावीर प्रसाद द्विवेदी की आत्मकथा पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें हमें सत्य और अहिंसा के महत्व की जानकारी मिलती है तथा देशभक्ति की भी प्रेरणा मिलती है।
कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़ाँव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा “ आलो आंधारि" बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
मैं कक्षा 10 की छात्रा हूँ और मुझे कहानी लिखने का शौक है जिसके लिए मुझे कई सारे उपन्यास भी पढ़ने पड़ते हैं। जीवन स्थिति को शब्दों के रूप में उतार देना मेरा हुनर है जिसके लिए मुझे लोगों से प्रशंसा भी मिलती है। उपन्यास लिखने के कारण मुझे ज्ञान भी प्राप्त होता है। अतः मैं अपने मार्ग पर चलने में सफलता प्राप्त करती हूँ।